चाणक्य का जन्म 376 ईसा पूर्व में होना माना जाता है। इनके कौटिल्य और विष्णुगुप्त नाम भी बताए जाते हैं। चणक के पुत्र होने के कारण ये चाणक्य कहलाए। इनके जन्म स्थान के बारे में विद्वानों में काफी मतभेद है। कोई दक्षिण का बताता है, तो कोई उत्तर का। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पंजाब के चणक क्षेत्र में इनका जन्म हुआ था। वह क्षेत्र आज चंडीगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। एक बार चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य से कहा कि राजकाज में महिलाओं की इच्छा-अनिच्छा को भी महत्व देना चाहिए। हमें राज्य की महिलाओं के बारे में विचार करना चाहिए।
चंद्रगुप्त मौर्य ने कहा, क्यों गुरुवर, ऐसी क्या बात हुई है जिससे आप चिंतित हैं। हमारे राज्य में महिलाएं सबसे सुरक्षित हैं। तब चाणक्य ने कहा कि महिलाओं को भी अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व का एहसास हो, मैं ऐसा चाहता हूं। वे यह सोच सकें कि राज्य के विकास में उनका भी योगदान है। वे भी राज्य के लिए महत्व रखती हैं, इसका उन्हें गर्व होना चाहिए। तभी राज्य का सर्वांगीण विकास संभव है। महिलाओं को हर कार्य क्षेत्र से जोड़ना चाहिए। वे भी पुरुषों के समान काम कर सकती हैं। जरूरत पड़ने पर महिलाओं से राजकाज के संबंध में सलाह मशविरा करना चाहिए।
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यह बात चंद्रगुप्त मौर्य को अच्छी लगी। उन्होंने राजकाज के कई मामलों में अपनी मां और पत्नी से सलाह मशविरा करना शुरू कर दिया। उन्होंने पाया कि महिलाओं के सुझाव बहुत सटीक होते हैं। यह बात उन्होंने चाणक्य को बताई कि मैं अपनी मां और पत्नी से सलाह मशविरा करता हूं, तो वे अच्छी सलाह देती हैं। चाणक्य के कहने पर बाद में महिलाओं को सभी क्षेत्रों में महिलाओं को भी भागीदारी दी गई। महिलाओं ने भी बढ़चढ़कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना शुरू दिया। इससे राज्य खुशहाल हो गया।
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