Saturday, July 27, 2024
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiअमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में चीन की घुसपैठ

अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में चीन की घुसपैठ

Google News
Google News

- Advertisement -

पिछले गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे अमेरिकी बाजार में चीनी इलेक्ट्रिक कारों को अपने पांव जमाने में काफी दिक्कत हो सकती है। बाइडेन ने चीन में निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उसकी बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने चीनी इलेक्ट्रिक कारों की टेक्नोलॉजी की जांच करने के आदेश भी दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को आशंका है कि चीन निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों के आपरेटिंग सिस्टम अमेरिका की खुफिया जानकारी चीन को भेज सकते हैं। चीन इन इलेक्ट्रिक कारों के माध्यम से यहां के नागरिकों और महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत अधिकारियों की दिनचर्या के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इन इलेक्ट्रिक वाहनों में लगे सेंसर और अन्य साफ्टवेयर से उनकी कार के आसपास होने वाली बातचीत तक सुनी जा सकती है।

इस बात का शक इससे पैदा होता है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां आम तौर पर चीन द्वारा निर्मित साफ्टवेयर का उपयोग करने का दबाव डालती हैं। यह माना जाता है कि जो भी वस्तु, मशीन इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रानिक सिस्टम से तैयार होती है, उसमें जासूसी करने के लिए चिप लगाया जा सकता है। उसे अपने हिसाब से आपरेट किया जा सकता है। यही आशंका जो बाइडेन जाहिर कर रहे हैं। वैसे भी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता अमेरिकी कंपनी टेस्ला को चीनी कंपनी बीवाईडी यानी बिल्ड योर ड्रीम कंपनी दुनिया की सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन बेचने वाली कंपनी हो गई है।

यह भी पढ़ें : सांवलापन नहीं उसके गुण देखो

इसका कारण यह है कि चीन निर्मित सबसे सस्ती कार भी अमेरिका में भारतीय मुद्रा में नौ लाख रुपये में मिल रही है। जबकि दूसरे देशों और अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत चीन के मुकाबले में बहुत ज्यादा है। अब बाइडेन प्रशासन अमेरिकी कार बाजार में चीनी दबदबे को कम करने के लिए 25 प्रतिशत टैरिफ लगाना सकता है। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढ़ाया है। इससे देश और विदेश में अमेरिकी कंपनियों को बढ़ावा देने की बाइडेन नीति से टकराव बढ़ता जा रहा है।

असल में यह चीन की बहुत पुरानी नीति है कि बाजार में घुसपैठ करने के लिए सस्ता माल उतारो और धीरे-धीरे पूरे बाजार पर छा जाओ। जब बाजार पर चीनी कंपनियों का पूरी तरह से कब्जा हो जाता है, तब इन कंपनियों का खेल शुरू होता है। वे स्थानीय इकाइयों को पंगु बना देती हैं। जहां एक बार स्थानीय कंपनियां बाजार से बाहर हुईं, इनकी मनमानी शुरू हो जाती है। अमेरिकी प्रशासन चीन की इस नीति से वाकिफ है। यही वजह है कि वह हर संभव प्रयास कर रहा है कि चीन कंपनियों का वर्चस्व अमेरिकी बाजार खत्म किया जाए। वैसे कुछ लोग मानते हैं कि जो बाइडेन का गुरुवार को दिया गया आदेश नवंबर में होने जा रहे चुनाव के मद्देनजर दिया गया है। उधर ट्रंप भी चीन के खिलाफ एक अभियान छेड़े हुए हैं।

संजय मग्गू

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments