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भारी पड़ सकती है अग्निवीर योजना से युवाओं की नाराजगी

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संजय मग्गू
हरियाणा में चुनावी महासंग्राम धीरे-धीरे अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर रही है। सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। भाजपा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के नेताओं को भ्रष्टाचारी, प्रदेश के विकास में बाधक, सीएम पद के लिए लड़ने वाला बताने के साथ-साथ अपनी उपलब्धियां गिना रही है। भाजपा के स्टार प्रचार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा सहित ध्रुवीकरण की कोशिश में लगे हुए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर प्रदेश स्तर के नेता बार-बार अग्निवीर योजना को लेकर सफाई दे रहे हैं कि हरियाणा के हर अग्निवीर को पेंशन वाली नौकरी देंगे। वहीं कांग्रेस अग्निवीर योजना को युवाओं के लिए एक धोखा बताकर सरकार को घेरने से नहीं चूक रही है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष तो लोकसभा चुनावों के दौरान ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी सरकार बनी तो वह अग्निवीर योजना को रद्द कर देंगे। लोकसभा चुनाव में तो इंडिया ब्लाक को बहुमत मिला नहीं, लेकिन हरियाणा में युवाओं को लुभाने के लिए इसको एक मुद्दा बनाया जा रहा है। भाजपा को डर है कि अग्निवीर और किसान मुद्दा इस बार के चुनाव में भारी न पड़ जाए। यही वजह है कि भाजपा को अग्निवीर मुद्दे पर बार-बार आश्वासन देना पड़ रहा है। हरियाणा में युवाओं की रुचि हमेशा से सेना को लेकर रही है। एक बड़ी संख्या में हरियाणा के युवा सेना के तीनों अंगों में हैं। शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हर युवा सेना में जाने के सपने देखता है। सेना में जाने का जुनून अग्निवीर योजना लागू होने के बाद कम हुआ है। इसमें कोई शक नहीं है। सेना में भर्ती होने के लिए जितने भी ट्रेनिंग सेंटर हरियाणा में चल रहे थे, उनमें से पचास-साठ प्रतिशत ट्रेनिंग सेंटर खाली पड़े हैं। युवाओं का उत्साह खत्म हो गया है। यह भी सच है कि अग्निवीर योजना की तैयारी करने वाले और तैयारी छोड़ देने वाले दोनों सरकार से नाराज हैं। इसका कितना प्रभाव चुनाव परिणाम पर पड़ेगा, इसका पता तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा। यही वजह है कि भाजपा इस मुद्दे पर जहां बैकफुट पर तो कांग्रेस, जजपा, इनेलो, आम आदमी पार्टी आदि आक्रामक हैं। किसान भी भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। किसानों को लुभाने की हर संभव कोशिश मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और भाजपा संगठन कर चुकी है, लेकिन इसमें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है। इन सब समीकरणों के बावजूद सभी राजनीतिक दल अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी, जजपा और इनेलो तो अपने को इस स्थिति में लाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उनके सहयोग के बगैर सरकार बनाना संभव न हो सके।

संजय मग्गू

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