उत्तराखंड में पास हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) विधेयक में लिव-इन रिलेशन एक्ट 381 का प्रस्ताव रखा गया है। अगर बिल को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई तो उत्तराखंड में लिव-इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा। ऐसा न करने पर छह साल तक की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
इस बिल में लिव-इन में पैदा होने वाले बच्चे को भी कानूनी अधिकार दिए गए हैं। साथ ही लिव-इन से ब्रेकअप के बाद लड़की अपने पार्टनर से गुजारा भत्ता भी मांग सकेगी।
इस बिल को 7 सवालों से समझें, जिनके जवाब सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने दिए हैं…
सवाल 1 : बिना रजिस्ट्रेशन के साथ रहने पर क्या सज़ा होगी?
जवाब : यदि जोड़ा अनिवार्य पंजीकरण नहीं करता है और एक साथ रहता है, तो 6 साल तक की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। लिव-इन रिलेशनशिप शुरू करने के एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उत्तराखंड में रहने वाले किसी भी राज्य के युवाओं को लिव-इन में रहने के लिए रजिस्ट्रार के सामने बयान देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही यदि उत्तराखंड राज्य का कोई युवा राज्य से बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे उस राज्य में रजिस्ट्रार के समक्ष अपना स्टेटमेंट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
सवाल 2 : लिव-इन के मानदंड कैसे तय होंगे, कौन-कौन से लोग इसमें शामिल होंगे?
जवाब : इसे अभी तक कानून के तहत स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है। हालांकि, कानूनी तौर पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल है। इस आयु सीमा से ऊपर के जोड़े अगर बिना शादी किए साथ रहते हैं तो इसे लिव-इन रिलेशनशिप माना जाएगा।
सवाल 3 : लिव-इन में जन्म लेने वाले बच्चों को क्या कानूनी अधिकार मिलेंगे?
जवाब : यदि लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए बच्चे का जन्म होता है तो उस बच्चे को वैध संतान माना जाएगा।
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सवाल 4 : क्या यह पंजीकरण सभी लोगों के लिए अनिवार्य होगा?
जवाब : जिन लोगों के समुदाय (आदिवासी समुदाय और जनजाति) में शादी से पहले एक साथ रहने की प्रथा है, तो उन्हें पंजीकरण नहीं कराना होगा।
सवाल 5 : किस जोड़े का पंजीकरण नहीं किया जाएगा?
जवाब : यदि दोनों में से एक शादीशुदा है या दोनों में से एक नाबालिग है तो पंजीकरण नहीं किया जा सकता है।
सवाल 6 : पंजीकरण कैसे समाप्त किया जा सकता है?
जवाब : रजिस्टर्ड लिव-इन पार्टनर्स को भी रिश्ता खत्म करने के लिए रजिस्ट्रार से इजाजत लेनी होगी। रजिस्ट्रार लिव-इन पार्टनर्स की जांच के बाद आवेदन को टर्मिनेट कर देगा। इसमें लड़की को मेंटेनेंस मांगने का भी अधिकार होगा, जिसके लिए लड़की कोर्ट में अपील कर सकेगी।
सवाल 7 : क्या इसमें माता-पिता या परिवार की कोई भागीदारी होगी?
जवाब: इसका अधिकार रजिस्ट्रार के पास है। जरूरत पड़ने पर रजिस्ट्रार दोनों पार्टनर्स के अलावा किसी परिचित का भी स्टेटमेंट मांग सकेंगे। ऐसी स्थिति में रजिस्ट्रार अभिभावकों की सहमति भी मांग सकेंगे। इसके अलावा अगर वेरिफिकेशन के दौरान जोड़ा नाबालिग पाया जाता है तो उनके माता-पिता को इसकी जानकारी दी जाएगी।
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