धावकों में भरा जोश, पद्म विभूषण मैरी कॉम ने सफलता का दिये मंत्र
अनिल मिश्र/ रांची
एक बेहद ही सामान्य किसान परिवार में जन्मी ओलंपियन मैरी कॉम बताती हैं कि वो पहले एथलीट थी, बाद में उनकी रुचि मुक्केबाजी में हुई।जब उन्होंने मुक्केबाजी शुरू की तो लोग ताने देते थे कि ये लड़की है इससे कुछ नहीं होगा।लेकिन, मेरे अंदर देश के लिए मेडल लाने की भूख थी।हमने दिन रात मेहनत किए।हमने जो कुछ भी किया पिता जी से छुपकर किया, क्योंकि वो मुझे एथलीट बनाना चाहते थे। लेकिन ये स्पष्ट है कि आपका लक्ष्य तय है और मेहनत करती हैं तो आप जरूर सफल होंगे।उतार-चढ़ाव से घबराने की कोई जरूरत नहीं है।आज पद्म विभूषण मैरी कॉम किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। महिला मुक्केबाजी की दुनिया में मैरी कॉम भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी लोहा मनवाया चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कठिन परिश्रम से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा का अमीरी और गरीबी से कोई संबंध नहीं होता और अगर आप के अन्दर कुछ करने का जज्बा है, तो सफलता हर हाल में आपके कदम चूमती है।कल रविवार को झारखंड की राजधानी रांची स्थित मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में आयोजित कोल इंडिया मैराथन में धावकों में उन्होंने जोश भरा। उन्होंने कहा कि उनके अंदर की भूख मरी नहीं है।आज भी वह मेडल के लिए भूखी हैं. यही भूख आपके अंदर भी होनी चाहिए।
इस मौके पर मैरी कॉम ने कहा कि खुद पर विश्वास होना जरूरी है तभी आप सफल हो पायेंगे। तमाम बाधाओं के बाद भी मैंने खुद को साबित किया. अब मैं आपके सामने हूं।मैरी कॉम बताती हैं कि बचपन से मैं देश के लिए खेलना चाहती थी, शादी के पहले और शादी के बाद भी मेरा खेल चलता रहा।फिर मां बनी लेकिन मुक्केबाजी के प्रति लगाव कभी भी कम नहीं हुआ। पत्नी के साथ-साथ मां की जिम्मेवारी निभाना एक औरत के लिए संघर्ष से कम नहीं होता है।लेकिन हर कदम पर पति का साथ मिला जिसके कारण पत्नी और मां की जिम्मेवारी के साथ खेल भी चलता रहा। संघर्ष से एक बात तो समझ में आ गयी कि जिंदगी में कुछ भी आसान नहीं है।
झारखंड की राजधानी रांची में कोल इंडिया मैराथन
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