गुजरात के अहमदाबाद में एक निजी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी के बाद दो आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की मौत हो गई। यह घटना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक गंभीर मामला बन गई है, क्योंकि प्रारंभिक जांच से यह सामने आया कि इन मरीजों को एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता नहीं थी। अब, राज्य सरकार ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज कराने का फैसला लिया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह घटना अहमदाबाद के बोदकदेव इलाके स्थित ख्याति मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल में हुई। जहां 59 वर्षीय नागरभाई सेनमा और 45 वर्षीय महेश बारोट का इलाज चल रहा था। दोनों मरीजों की एंजियोप्लास्टी के दौरान मौत हो गई। एंजियोप्लास्टी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें कोरोनरी धमनियों में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए संकुचित या अवरुद्ध धमनियों को चौड़ा किया जाता है।
गुजरात सरकार के स्वास्थ्य सचिव धनंजय द्विवेदी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि अस्पताल ने उन मरीजों की एंजियोप्लास्टी की जिनमें इस सर्जरी की कोई आवश्यकता नहीं थी। जांच में यह भी पता चला कि अस्पताल ने इन मरीजों को सर्जरी के बाद उचित इलाज नहीं दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मौत हो गई।
अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल को अब प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत लाभार्थियों का इलाज करने से वर्जित कर दिया गया है। इसके साथ ही, जिन डॉक्टरों ने इन मरीजों की एंजियोप्लास्टी की थी, उन्हें भी इस योजना के तहत किसी अन्य चिकित्सा संस्थान में काम करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है और कहा कि इस अस्पताल ने पिछले रविवार को मेहसाणा जिले के कादी तालुका के बोरिसाना गांव में एक मुफ्त चिकित्सा शिविर आयोजित किया था। इस शिविर के बाद अस्पताल ने 19 ग्रामीणों को यह कहकर अपने अस्पताल बुलाया कि उन्हें एंजियोग्राफी करवानी होगी। इसके बाद अस्पताल ने उनमें से सात मरीजों की एंजियोप्लास्टी की और स्टेंट डाले। इनमें से दो मरीजों की सर्जरी के तुरंत बाद मौत हो गई।
गुजरात सरकार इस घटना की गहन जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल की सभी जांचों और सर्जरी के बारे में विस्तार से जांच की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह की घटना फिर से न हो।
यह घटना आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज प्राप्त करने वाले गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अब यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।