Saturday, July 27, 2024
32.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeHARYANAसूक्ष्म सिंचाई वाली खेती समय की मांग

सूक्ष्म सिंचाई वाली खेती समय की मांग

Google News
Google News

- Advertisement -

बढ़ती हुई आबादी, घटते जल स्रोत, गिरता भूजल स्तर तथा सामान्य से कम होती वर्षा से भविष्य में खेती के लिए गंभीर जल संकट पैदा करेगी। अत: पानी का सदुपयोग करके खेती में भी पानी बचाने के सार्थक प्रयास समय की मांग है। इसमें सूक्ष्म सिंचाई सबसे किफायती और लाभकारी है। यह बातें कृषि विशेषज्ञ डॉ. मलिक ने गांव बमनीखेड़ा में जागरूक किसान संगठन द्वारा आयोजित गोष्ठी में कहीं।


डॉ. मलिक ने आगे कहा कि स्प्रिंकलर (फव्वारा)सिंचाई व बूंद बूंद (ड्रिप) सूक्ष्म सिंचाई पानी बचाने की सबसे उत्तम व सरल विधि है। सूक्ष्म सिंचाई विधि के द्वारा कम पानी से ज्यादा जमीन को सींचा जा सकता है। इससे सिंचाई के पानी की 60 से 80 प्रतिशत बचत तथा 50 प्रतिशत तक फसलों का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। फव्वारा सिंचाई विधि कम दूरी वाली फसलों जैसे बाजरा, ज्वार, सरसों, गेहूं, जो, कपास तथा सब्जियों के लिए तथा कटाव, ढुलाईनुमा व रेतीली भूमि के लिए वरदान साबित हुई है। इस विधि में पानी को पौधों के ऊपर वर्षा की बूंद की तरह फव्वारे के रूप में दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि ड्रिप सिंचाई का प्रयोग फासले पर पंक्तियों में बोई गई फसलों जैसे गन्ना,कपास, आलू,पेड़ों, बेले, फूलों व सब्जियों में किया जाता है। इस विधि में पानी बूंदझ्रबूंद करके पौधों के जड क्षेत्र में दिया जाता है। उर्वरक व दीमक की दवा भी पानी के साथ मिला कर दी जा सकती है। फव्वारा व ड्रिप सिंचाई विधि पर भारी अनुदान दिया जाता है।
अटल भूजल योजना से कृषि अधिकारी डॉ. मनोहर लाल शर्मा ने बताया कि ड्रिप (टपका)व फव्वारा सिंचाई लगवाने वाले किसानों की शत-प्रतिशत अनुदान अटल भूजल योजना में देने का प्रावधान है। केवल किसानों को जीएसटी का ही भुगतान करना पड़ता है। गोष्टी की अध्यक्षता बामनीखेड़ा के सरपंच डॉ. मुकेश तंवर ने की तथा संचालन पंडित दीपचंद व ओम शर्मा ने किया। इस अवसर पर ओमप्रकाश,रामचंद,योगेश, अनिल, विशाल,विनोद,शिवदत्त शर्मा, सुभाष, रामनारायण, चिरंजी, प्रवीण आदि किसान मौजूद थे।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments