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एयरफोर्स :रजिस्ट्री खुलते ही प्रतिबंधित इलाके में बनने लगे अवैध निर्माण

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एयरफोर्स स्टेशन के आसपास 100 मीटर के दायरे से निमार्णों को हटाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया हुआ है। हाल में ही हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट एयरफोर्स स्टेशन के 100 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण करने वालों को मुआवजा देने के मामले में केंद्र सरकार से दस जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। केंद्र इस मामले में पहले ही कह चुका है कि वह मुआवजा देने के लिए तैयार है। लेकिन प्रतिबंधित क्षेत्र में रहने वाले अनेक लोगों के नाम पर मकानों की रजिस्ट्री नहीं है। इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने यहां रजिस्ट्री करवाने की छूट दी है। लेकिन इसका फायदा भू माफिया और छुट भैये उठा रहे हैं। लोगों को भ्रमित कर वे अपने प्लॉट बेच रहे हैं। ऐसे में प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण शुरू हो गए हैं। जिन्हें तोड़ने गए निगम के दस्ते पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था। हमलावरों के खिलाफ थाना डबुआ में केस दर्ज है।

निगम कर्मचारियों पर किया हमला

राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में मकानों की रजिस्ट्री करवाने की छूट देने के बाद यहां भू माफिया और छुट भैये ने भ्रम फैलाना शुरू कर दिया है कि अब सब कुछ ठीक हो गया है। अब 100 मीटर के दायरे में मकानों को नहीं तोड़ा जाएगा। ऐसे में काफी संख्या में लोगों ने मकानों की मरम्मत करवाने के साथ ही नए मकान तक बनवाने शुरू कर दिये हैं। जबकि इस क्षेत्र में मकानों का निर्माण तो दूर प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण सामाग्री ले जाने पर भी रोक है। शिकायत मिलने में गत 25 मई को नगर निगम का तोड़फोड़ दस्ता प्रतिबंधित क्षेत्र में बन रहे अवैध निर्माणों को गिराने के लिए गया था। उसी दौरान कुछ लोगों ने निगम कर्मचारियों पर हमलाकर कार्रवाई को रूकवा दिया। निगम के एसडीओ की शिकायत पर थाना डबुआ ने तीन लोगों पर केस दर्ज किया है।

फिर नुकसान उठाएंगे बेकसूर

रजिस्ट्रीसे प्रतिबंध हटने के बाद यहां बिजली के नए कनेक्शन पर लगी रोक भी हटादी है। सरकार की इस छूट का फायदा उठाते हुए विकास कार्य करवानी वाली एजेंसियों ने विभिन्न तरह के काम करवाने शुरू कर दिये हैं। जबकि यहां निर्माण कार्य पर अभी प्रतिबंध लगा हुआ है। प्रतिबंधित क्षेत्र में मकानों की मामूली मरम्मत तो नजर अंदाज की जाती है। लेकिन नए मकान का निर्माण नहीं हो सकता। जबकि यहां मकानों का निर्माण भी किया जा रहा है। प्रशासन की इस लापरवाही का फायदा भू माफिया उठा रहे है। ऐसे में भूमाफिया मकान न टूटने का झांसा देकर बेकसूर लोगों को मकान अथवा जमीन बेच रहे हैं। वहीं प्रतिबंध हटने के बावजूद अनेक लोग न रजिस्टरी नहीं करवा पा रहे और न ही मोटेशन चढ़वा पा रहे हैं। जिससे लोगों को डर है कि उन्हें मुआवजा कैसे मिलेगा।

प्रशासन की गलती से बने मकान

एयरफोर्स स्टेशन से कालोनियां करीब 200 से 300 मीटर दूर थी। लेकिन समय गुजरने के साथ धीरे धीरे मकान एयरफोर्स स्टेशन की दीवार तक पहुंच गए। वर्ष 2001 में वर्ल्ड डिफेंस एक्ट लागू होने के बाद भी यहां जमीनों की खरीद फरोख्त और बिना रोक टोक के रजिस्टरी व मकानों का निर्माण होता रहा। रजिस्टरी करते समय प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया कि यह प्रतिबंधित क्षेत्र है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम की लापरवाही से बिना रोकटोक के लगातार मकानों का निर्माण होता रहा। लेकिन वर्ष 2010 में सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश चंद गोयल की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए 100 मीटर के दायरे से मकानों को हटाने के आदेश दिये। जिससे लोगों के पैरों तले जमीन खीसक गई। क्योंकि जमीन खरीदते समय किसी ने भी कुछ नहीं बताया और न निर्माण करने से रोका गया।

मोटेशन शिविर लगाए जाएं

संघर्ष समिति के अध्यक्ष ईश्वर चंद शर्मा ने कहा कि प्रतिबंध हटने के बाद भी अनेक लोगों को प्रशासन की लारपाही से रजिस्टरी करवाने और मोटेशन चढ़वाने में दिक्कत आ रही है। यदि रजिस्ट्री नहीं होगी तो उन्हें मुआवजा कैसे मिलेगा। जबकि इनका कोई कसूर नहीं है। प्रशासन को रजिस्टरी से पूर्व कागजात पूरे करने को इलाके में लगातार शिविर लगाने चाहिए।

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