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अधिकारियों की कार्यशैली का खमियाजा 2024 में भुगतेगी भाजपा

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राजेश दास

शहर के लोगों को बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उदेश्य से प्रदेश और केंद्र सरकार अरबों रुपये भेज चुके हैं। शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के तहत भी पैसा भेज चुकी है। लेकिन इनमें से किसी भी परियोजना को संबंधित विभागों के अधिकारी सफल नहीं बना सके। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत अधिकारियों ने छोटे से इलाके की सड़कों को चमकाने और फिजुल के कामों में पैसा खर्च करने के अलावा कुछ नहीं किया। सरकार अपने नौ साल के शासनकाल के विकास के दावें कर रही है। लेकिन वास्तव में जमीनी स्तर पर शहर में विकास ढूंडे से भी नहीं मिलता। इस दौरान संबंधित विभागों के ज्यादातर विकास कार्य अधूरे होने से जनता को उनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। जरासी बरसात आते ही शहर जलमग्न हो जाता है। बूंदा-बांदीऔ तेज हवा से बिजली गुल हो जाती है। अधिकारियों की इस कार्यशैली का खामियाजा सरकार को 2024 में भुगतना पड़ सकता है।

शहर में जलभराव का जिम्मेदार कौन

अन्य शहरों में बरसात आने पर लोगों के चेहरे खिल उठते हैं। लेकिन शहर में होने वाली बरसात लोगों पर आफत बनकर टूटती है। जरा सी बरसात आते ही शहर की तमाम सड़के और गलियां जलमग्न हो जाती हैं। जलभराव की समस्या से शहर के पॉश सेक्टर भी अछूते नहीं हैं। एचएसवीपी के सभी सेक्टर में बरसाती पानी की निकासी के लिए स्टॉर्म वॉटर लाइनें तो हैं, लेकिन रख रखाव के अभाव में सभी बुरी तरह जाम हैं। वहीं शहर में बिना योजना और लापरवाही से किये गए विकास कार्यो की वजह से बरसाती पानी को निकलने की जगह ही नहीं मिलती। जिसके कारण बरसाती पानी कई कई दिनों तक सड़क पर खड़ा रहता है। शहर के कई इलाकों में लापरवाही से बनाई सड़कों के कारण बरसात का पानी लोगों के घर में घुसने लगता है।

हाइवे पर जलभराव रोकने के दावें फेल

बरसात आते ही शहर के अन्य हिस्सों के साथ हाइवे पर भी जलभराव की समस्या गंभीर हो जाती है। हाइवे के कई हिस्सों में तो बरसात के बाद कई कई दिनों तक पानी भरा रहता है। एनएचएआइ और टोल कंपनी की लापरवाही से गत वर्ष बरसात के मौसम में हाइवे पर वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। जिसे देखकर एनएचएआइ ने समस्या के समाधान के लिए ड्रेनेज सिस्टम बनाने और हाइवे पर जगह जगह रेनवॉटर हार्वेटिंग सिस्टम बनाने का आश्वासन दिया था। जिसके तहत कई हार्वेस्टर बन चुके हैं तो कई जगह बनाए जा रहे हैं। अजरौंदा चौक पर एसीपी ट्रेफिक के कार्यालय के पास बनाया गया हार्वेस्टर शुरू होने से पहले ही टूट गया। जबकि अन्य स्थानों पर बने हार्वेस्टिंग सिस्टम काम कर भी रहे हैं या नहीं, इस पर संदेह पैदा हो रहा है।

सीवर जामसे नहीं मिला छुटकारा

नगर निगम ने सीवर की सफाई का काम ठेके पर दिया हुआ है। इस काम के बदले में निगम अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद सीवर जाम की समस्या कम होने की बजाए लगातार गंभीर रूप धारण करती जा रही है। शहर की अन्य रिहायशी कालोनियों के साथ साथ एचएसवीपी द्वारा पूरी योजना के साथ बसाये गए कई सेक्टरों में भी सीवर जाम की समस्या से लोग काफी परेशान हैं। शहर में जगह जगह मैनहॉल से सीवर का गंदा पानी ओवरफ्लो होते हुए आम देखा जा सकता है। कई स्थानों पर सीवर ओवरफ्लो के कारण लोग लंबे समय से परेशान हैं। एप 311 में शिकायत के साथ गंदे पानी से भरी सड़कों की तस्वीर भेजने के बाद भी एनएच दो ई ब्लॉक में सीवर की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।

विकास के नाम दे रहे परेशानी

समाज सेवी विष्णु गोयल का कहना है कि लोग सड़क, पानी और सीवर जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विकास के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जाता है। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद मौके पर कुछ भी दिखाई नहीं देता। ठीक ठाक बेस होने के बावजूद सड़के उखाड़ कर नई बना रहे है। जबकि अनेक सडकों को सिर्फ मरम्मत की जरूरत है।

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