‘रविवार को हमारे यहां चिकित्सक नहीं है, इसलिए बीके लेकर जाओ। बीके पहुंचे तो यहां से भी बच्चे को दिल्ली रेफर कर दिया। क्या धौज स्थित अलफला अस्पताल और शहर के सबसे बडे बीके सिविल अस्पताल में हमारे 12 वर्षीय बच्चे की सर्जरी की सुविधा नहीं हो सकती? क्यों बीके से सफदरजंग अस्पताल के लिए भेज रहे हैं। ’सुबह छह बजे से 12 बजे तक बच्चे के साथ रेफर का खेल खेला जा रहा है। यह बात बच्चे के दुखी दादा जाकिर हुसैन ने बताई। उन्होंने कहा कि चिकित्सक के रेफर करने के बाद कार्ड काउंटर पर पर्ची के लिए भी उन्हें 25 मिनट इंतजार करना पड़ा। कर्मचारी मौके पर नहीं थी, वहीं जब इस विषय में रूम नम्बर 40 पर तैनात कर्मचारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कम्प्युटर तो चालू था, लेकिन काम नहीं हो पा रहा था। वायर हिल गई थी, करीब 30 मिनट में फोन कर टैक्नीशियनों से बात की गई। अपातकालीन कक्ष में तैनात Opreator से बात करने गई थी। ताकि समस्या का समाधान किया जा सके। हालांकि बाद में भीड़ के बावजूद बच्चे के कार्ड पर पहले पर्ची लगाई गई।
जानकारी के मुताबिक धौज निवासी 12 वर्षीय तमीम सुबह रोजाना दौड़ लगाता है। वह एथलीट बनना चाहता है। रविवार को अन्य दिनों की तरह सुबह दौड़ लगाने गया था। सुबह साढे पांच बजे घर लौटा तो मां ने पानी दिया। तब उसने दर्द की शिकायत बताई। तमीम की मां ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन तमीम अचानक दर्द से तड़पने लगा। जिस पर उसके दादा जाकिर हुसैन, दादी और मांउ से अलफला अस्पाल में लेकर पहुंचे। जहां उन्होंने दो इंजेक्शन लगा दिए और दर्द में राहत दे दी। बताया कि गुप्तांग में इसकी एक गोली ऊपर खिसक गई है। जिसका Operation होगा। हमारे यहां रविवार के कारण चिकित्सक नहीं है। सोमवार को भी इसका यहां Operation नहीं हो सकेगा।ऐसे में आप इसे बीके अस्पताल ले जाओ, वहां सर्जन है। जो इसका Operation कर देंगे। जाकिर ने बताया कि वह अपने पौते को बीके अस्पताल लेकर आए तो चिकित्स कोंने देखते ही तमीम कोरे फर कर दिया। दिल्ली ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक आ गई। लेकिन कार्ड पर रेफर के बाद भी पर्ची नहीं लगी। ऐसे में वह सुबह छह से सवा 12 बजे तक परेशान होते रहे। उन्होंने कहा सरकार स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का दावा कर रही है। लेकिन अस्पताल मरीजों को रेफर कर पल्ला झाड़ रहे हैं।