नई दिल्ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा में बड़े बदलाव के मूड में है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दीपक बावरिया को हरियाणा कांग्रेस प्रभारी पद से हटा दिया।
बावरिया के स्थान पर बीके हरिप्रसाद को हरियाणा कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया है।
दीपक बावरिया गुजरात से संबंध रखते हैं। उन्हें राहुल गांधी ने विशेष तौर पर हरियाणा की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन बावरिया पार्टी आलाकमान की उम्मीदों पर खड़े नहीं उतरे। हरियाणा के लिए नियुक्त किए गए नए प्रभारी बीके हरिप्रसाद कर्नाटक से आते हैं तथा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के काफी नजदीक समझ जाते हैं।
सेलजा ग्रुप के साथ रहा विवाद :
हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी रहते दीपक बावरिया की प्रदेश कांग्रेस के सभी क्षत्रपों के साथ तनातनी रही। लोकसभा चुनाव से पहले व उसके बाद हरियाणा में कुमारी सेलजा की यात्रा को लेकर दीपक बावरिया ने तीखे तेवर दिखाए। बावरिया ने पत्र लिखकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया कि सेलजा की यात्रा से कांग्रेस संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा बावरिया ने शैलजा की यात्रा रोकने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी पत्र लिखा।
हुडा ग्रुप व उदयभान के साथ भी संबंधों में कड़वाहट :
दीपक बावरिया के हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी रहते पहले तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुटके साथ संबंध बेहतर रहे लेकिन बाद में उनमें भी कड़वाहट नजर आई। कई मौकों पर बाबरिया व हुड्डा ग्रुप के नेताओं की तल्खी मीडिया की सुर्खियां बनी। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भी तनाव की खबरें सामने आई। टिकट वितरण में चुनाव के दौरान दीपक बावरिया का कार्यकर्ताओं द्वारा घेराव तथा उनका अस्पताल में भर्ती होना चर्चाओं को जन्म देता रहा। विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान व दीपक बावरिया के एक दूसरे के प्रति दिए गए बयानों से कांग्रेस असहज स्थिति में रही। विधानसभा चुनाव के बाद उदयभान द्वारा जारी प्रभारी व सह प्रभारियों की सूची पर रोक लगाकर बावरिया ने अपनी ताकत दिखाने का प्रयास भी किया।
बावरिया की छुट्टी के यह रहे कारण :
# हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी को ना रोक पाना।
# हरियाणा कांग्रेस में अपना अलग गुट तैयार करना।
# विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण पर सवालिया निशान।
# हरियाणा कांग्रेस के क्षत्रपों के साथ संबंध मधुर ना होना ।
# विधानसभा चुनाव में जीत की समस्त संभावनाओं के बाद परिणाम विपरीत आना।