राजेश दास।
फरीदाबाद। नगर निगम की लापरवाही से जिले का भूजलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। जिससे जिला डार्क जोन में शामिल हो चुका है। क्योंकि बरसाती पानी जमीन को रिचार्ज करने की बजाए सड़को पर बहता रहता है या फिर सीवर में जाकर नष्ट हो रहा है। इसके लिए निगम और अन्य सरकारी विभाग ही जिम्मेदार है। जिले में हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017 की वर्षो से धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिले में पर्याप्त बरसात होने के बावजूद धरती प्यासी रह जाती है। निकासी की व्यवस्था न होने से पानी सड़को व सीवर की लाइनों में बहता रहता है। इन दिनों हो रही जबरदस्त बरसात से शहर की तमाम सडक बुरी तरह जलमग्न हो चुकी है। जल भराव के कारण लोगों को भारी परेशानी हो रही है। जबकि नगर निगम द्वारा हर साल मानसून आने से पहले शहर के नालों की सफाई करवाने के दावें किए जाते हैं। लेकिन इस साल निगम की तरफ से मानसून आने से पहले न तो शहर के नालों की सफाई करवाई गई और न ही सड़को पर भरने वाले बरसाती पानी की निकासी के लिए कोई इंतजाम किए गए है।
नियमों के विपरित इमारतों का निर्माण
शहर में मकानों अथवा अन्य निर्माण कार्य के लिए प्रदेश सरकार ने हरियाण बिल्डिंग कोड 2017 लागू किया हुआ है। इस कोड की गाइड लाइन के मुताबिक ही शहर में निर्माण कार्य करवाए जा सकते हैं। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत से जिले में निर्माण के दौरान नियमों को पूरी तरह से ताक पर रख दिया जाता है। शहर के ज्यादातर हिस्सों में लोगों ने नियमों के विपरित अपने मकानों को सड़को से कई कई फीट तक ऊंचा बनाया हुआ है। साथ ही नालियों को बंद कर अतिक्रमण कर रैम्प बनाए हुए हैं। दोनों तरफ अतिक्रमण की वजह से बरसाती पानी जमीन के भीतर जाने की बजाए बीच सडक पर बहता है या फिर सीवर लाइन में चला जाता है। शहर की सीवर लाइनें पहले ही जाम रहती है। बरसात आने पर स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है।
निगम की लापरवाही से धरती प्यासी
हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017 के नियमों में मुताबिक 150 वर्ग गज या इससे ज्यादा जमीन पर बने मकानों और अन्य किसी भी तरह की इमारतों में रेनवॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होता है। ताकि बरसात आने पर इमारतों की छतों पर गिरने वाला पानी सीवर और सड़को पर बहने की बजाए सीधा जमीन में जाकर भूजल को रिचार्ज करने का काम करें। शहर में नए बने चंद सरकारी कार्यालयों को छोड़ कर ज्यादातर इमारत में रेनवॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाने की जरूरत कभी महसूस नहीं की। जबकि इस संदर्भ में कई बार मुख्यालय की तरफ से आदेश भी आ चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी भी इस तरफ ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं करते। जिसके कारण हर साल खूब बरसात आने के बाद भी जिले की धरती की प्यास नहीं बुझ पा रही है।
विकास के नाम पर किया विनाश
नगर निगम द्वारा बरसाती पानी से भूजल को रिचार्ज करने की तरफ कभी भी ध्यान नहीं दिया जाता। निगम द्वारा शहर के ज्यादातर हिस्से में आरएमसी की सड़को का निर्माण करवाया हुआ है। सड़को के दोनों किनारों पर इंटरलॉकिंग टाइल्स लगा दी जाती है। वहीं ज्यादातर सड़कों के किनारे ड्रेनेज सिस्टम भी नहीं बनाया गया है। ऐसे में बरसात का पानी जमीन में जाकर भूजल को रिचार्ज नहीं कर पाता। ऐसे में बरसाती पानी सड़को पर कई कई दिनों तक बहता रहता है। वहीं बरसाती पानी सड़को पर लंबे समय तक खड़ा रहने से सड़के भी जल्दी ही टूटनी शुरू हो जाती है। वहीं दूसरी तरफ हर साल जलभराव होने पर सड़को के किनारे रेनवाटर हारवेस्टिंग सिस्टम भी बनाने के दावें किए जाते है। लेकिन बरसात के मौसम के बाद योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
निगम का भ्रष्टाचार
समाजसेवी रविंद्र चावला का कहना है कि निगम की प्लानिंग और इंजीनियरिंग ब्रांच में नियुक्त अयोग्य अधिकारियों ने नगर निगम और फरीदाबाद दोनों को बर्बाद कर दिया है। जिससे शहर स्लम में तब्दील हो रहा है। सरकार इन्हीं अधिकारियों को प्रमोशन पर प्रमोशन दे रही है। साथ ही रिटायरमेंट के बाद दोबारा नियुक्ति देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
लापरवाही है जिम्मेदार
समाजसेवी गुरमीत सिंह का कहना है कि बरसात आते ही शहर की सड़के जलमग्न हो जाती है। लेकिन पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं की जा रही। निगम द्वारा सिविल के इंजीनियरों से मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल काम लिया जाता है। वहीं मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सिविल का काम करते हैं। यह शहर की दुर्दशा का प्रमुख कारण है।