राजेश दास
नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों की लापरवाही के कारण शहर में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। अवैध प्लॉटिंग करके और रिहायशी इलाके में अवैध निर्माण कर चलाई जा रही व्यवसायिक गतिविधियों के कारण कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। शहर में ऐसे कई कारखानों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। वहीं रिहायशी इलाकों में चल रहे इन कारखानों की वजह से प्रदूषण तो फैल ही रहा है, इसके साथ ही इनकी वजह से आसपास रहने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। जबकि हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार रिहायशी इलाकों से कारखानों को शिफ्ट करने की पॉलिसी वर्ष 2016 में बना चुकी है। लेकिन सात साल बाद भी इस पॉलिसी को लागू नहीं किया गया। जिसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। इन कारखानों से परेशान होकर कपड़ा कालोनी निवासी दीपक त्रिपाठी ने एनजीटी को शिकायत दी थी। एनजीटी ने नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की कमेटी को जांच के आदेश दिये थे। इन आदेशों के बाद मंगलवार को कमेटी मौके पर जांच की।
शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती
कपड़ा कालोनी निवासी दीपक त्रिपाठी ने मार्च 2023 में एनजीटी को दी शिकायत में कहा था कि इस रिहायशी कालोनी में जगह जगह काफी संख्या में कारखाने चल रहे हैं। कारखाने कई तरह से प्रदूषण फैला रहे हैं। इनके द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले जरनेटर दिनभर धुंआ उगलते रहते हैं। जिससे वातावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है, साथ ही लोगों के बीमार होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। इनमें से कई कारखानों में बड़ी बड़ी पॉवर मशीने चलाई जाती है। जिससे ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। वहीं इन मशीनों के चलने से आसपास के मकानों में कंपन पैदा होता है। जिससे यहां कभी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। उन्होंने संबंधित विभागों से कई बार शिकायत की। इनके खिलाफ कार्रवाई के अभाव में यहां सरेआम मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
कमेटी ने कारखानों की जांच
दीपक त्रिपाठी की इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने नगर निगम, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की टीम गठित कर मौके पर जांच करने के आदेश दिये थे। जांच के बाद इसकी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपने के आदेश दिए गए थे। एनजीटी के आदेश पर मंगलवार को चारों विभागों की संयुक्त टीम जांच पड़ताल के लिए कपड़ा कालोनी पहुंची थी। टीम के सदस्यों ने शिकायतकर्ता दीपक त्रिपाठी के साथ कई कारखानों में जाकर गहनता के साथ जांच पड़ताल की। लेकिन टीम के पहुंचने से पहले ही कुछ कारखानों ने जरनेटर हटा दिये थे तो कुछ कारखानों में भारी पॉवर प्रैस मशीनों को नहीं चलाया जा रहा था। मौके पर घंटों की जांच पड़ताल और कारखाना संचालकों से पूछताछ करने के साथ उनसे संबंधित दस्तावेज लेने के बाद टीम वापस रवाना हो गई।
अनेक रिहायशी क्षेत्र में कारखाने
अनेक रिहायशी इलाकों में सैंकड़ों की संख्या में कारखाने चल रहे हैं। करीब चार साल पहले हाईकोर्ट ने रिहायशी इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियों को बंद करवा कर 20 मार्च 2019 को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। उस समय निगम ने खानापूर्ति कर कर्तव्य पूरा कर दिया था। निगम क्षेत्र में सेक्टर 24, 25, 27, 10, 6 और एनआईटी औद्योगिक क्षेत्र मौजूद हैं। लेकिन इन औद्योगिक क्षेत्रों में जितनी फैक्ट्रियां चल रही हैं, उससे ज्यादा संख्या में कारखाने रिहायशी इलाकों में चल रहे हैं। कई कारखाने तो ऐसी तंग गलियों में चलाए जा रहे हैं, जहां फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच पाती। इसके अलावा शहर के विभिन्न रिहायशी इलाकों में कबाड़े के बड़े गोदाम तक चलाए जा रहे हैं। कारखानों और गोदाम संचालकों के पास फायर ब्रिगेड की एनओसी तो दूर आग बुझाने के उपकरण तक मौजूद नहीं हैं।
शिफ्ट हो कारखाने
कपड़ा कालोनी निवासी दीपक त्रिपाठी का कहना है कि नगर निगम और संबंधित विभागों की लापरवाही से कायदे कानून ताक पर रख कर रिहायशी इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियां चलाई जा रही है। उनकी वजह से प्रदूषण तो बढ़ ही रहा है, साथ सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। कारखानों के कारण आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है।