बादशाह खान सिविल अस्पताल में जिले के अलावा पलवल, होडल, हथीन, बदरपुर बॉर्डर, नूंह और सोहना तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं । लेकिन यहां रात को आने वाले मरीजों को अंधेरे से घिरी सड़कों से गुजर कर आना पड़ता है। ऐसे में कभी अनहोनी भी हो सकती है। यहां नगर निगम मुख्यालय के सामने तीन बड़ी स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। जिसमें से एक भी लाइट जलती नहीं है। हालांकि एम्बुलेंस चालकों ने इस बारे में निगम में कई बार शिकायत की है। लेकिन इसके बावजूद भी करीब छह माह से खराब लाइटें ठीक नहीं करवाई गई। अस्पताल में दशहरा ग्राउंड की ओर से आने वाला रास्ता भी पूरी तरह अंधेरे में डूबा रहता है।
दोनों रास्तें अंधेरे में डूबे
बीके चौक और मेट्रो मोड से बादशाह खान सिविल अस्पताल के लिए दो रास्ते आते हैं। यह दोनों ही रास्ते शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। जिससे शाम को अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि बीके अस्पताल के ठीक सामने नगर निगम का मुख्यालय भी मौजूद है। निगम मुख्यालय होने के बावजूद संबंधित अधिकारी लंबे समय सेइस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
शोपीस बनी लाइटें:
बीके सिविल अस्पताल की ओर आने वाली सड़क पर नगर निगम मुख्यालय के सामने तीन स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। प्रत्येक में आठ आठ बल्व लगे हैं। लेकिन इन आठ बल्वों वाली तीनों लाइटें मात्र शोपीस बनकर रह गई है। क्योंकि यह रात को जलती ही नहीं है। ऐसे में यहां अंधेरा पसरा रहता है। इसी तरह से मेट्रो मोड़ से दशहरा ग्राउंड होकर आने वाली सड़क पर भी लाइटें लगी हैं। लेकिन यह लाइटें भी नहीं जलती। जिससे रात को अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए खतरा बना रहता है।
बना है हादसों का खतरा:
एम्बुलेंस चालकों ने बताया कि अस्पताल में मरीजों को लाने के दौरान रास्ते अंधेरे में डूबे रहते हैं। जिससे कई बार परेशानियां होती है। उन्होंने बताया कि समस्या को लेकर कई बार शिकायतें कर चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं समाज सेवी सतीश चौपड़ा ने बताया कि अंधेरा होने के कारण यहां कई बारमरीजों के साथ हादसे भी हो जाते हैं। कुछ समय पहले यहां दशहरा ग्राउंड के निकट मरीजों से लूटपाट का प्रयास किया था। बीके अस्पताल निगम मुख्यालय के सामने है। लेकिन फिर भी यहां छह महीने से स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हुई हैं।
–कविता