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गंदगी पार करके भी मिलता है अधूरा इलाज

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सरकार द्वारा घरों के निकट ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे किए जा रहे है, लेकिन जिले में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। क्योंकि स्वास्थ्य केन्द्रों में न तो जांच की सुविधाएं उपलब्ध हो रही है और न ही चिकित्सक और दवाईयां ऐसे में उन्हें सिविल अस्पता लोंकारूख करना पड़ता है। ऐसा ही सारन चौक स्थित अरबन प्राइमरी सेंटर में देखने कोमिला। यहां न तो मरीजों को दवाईयां मिल रही थी और न ही रूटीन में की  जाने वाली सीबीसी की जांच की जा रही थी । ऐसे में उन्हें निजी प्रयोग शालाओं का रूख करने को मजबूर होना पड़ रहा था । कहने को तो चिकित्सक साफ सफाई का ध्यान रखने की बात करते है, लेकिन स्वास्थ्य केन्द्र के मुख्य द्वार पर ही कचरे का ढेर लगा हुआ था। यहां मरीजों के बैठने के लिए पर्याप्त स्थान की भी कमी थी । इसके अलावा यहां निजी वाहन भी भारी संख्या में पार्किंग में खडे नजर आए।

गंदगी का ढेर:

सारन स्वास्थ्य केन्द्र डिलीवरी हट सेंटर है, जहां गर्भवती से लेकर बच्चे, बुजुर्ग समेत सभी उम्र के लोग दवाईयां लेने आते है। लेकिन उन्हें गंदगी के ढेर से होकर गुजरना पड़ता है। इस सेंटर के गेट पर ही गंदगी का ढेर लगा हुआ है। वैसे गंदगी से बचाव के लिए डिस्पेंसरी के गेट को बढ़ा दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी लोग यहां कचरा डाल रहे है। जिससे मरीजों को इंफैक्शन फैलने का खतरा बना रहता है, बरसात के दिनों में यहां गेट के निकट पड़ा हुआ कचरा पानी भ रने से डिस्पेंसरी के गेट तक फैल जाता है।

पार्किंग स्थल:

डिस्पेंसरी में सुबह शाम निजी वाहनों की पार्किंग हो रही है। जिसके कारण यह डिस्पेंसरी पार्किंग स्थल में तब्दील हो गई है। इस विषय में जब मौके पर मौजूद मेडिकल आॅफिसर डॉ लोकेश से बातकी गई, तो उन्होंने कहा कि यहां गेट पर सीएमओ के आदेशानुसार गाडिया न खडी करने का नोटिस लगा रखा है, लेकिन लोग नहीं मानते है।

जांच व दवा का आभाव:

सारन यूपीएचसी में जांच की सुविधाएं तो है, लेकिन यहां सीबीसी जैसी सामान्य जांच की सुविधाएं नहीं है, जिसके कारण मरीजों को सीबीसी समेत अन्य महत्वपूर्ण जांचों के लिए बीके सिविल अस्पताल या फिर बाहर के अस्पतालों मेंरेफर किया जाता है।

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