सूरज देवता पिछले कुछ दिनो से अपने तेवर दिखा रहे है। मंगलवार को 44 डिग्री तापमान के बीच लोग बेहाल नजर आए । ऐसे में लोग शीतल पेय पदार्थों का सहारा लेते रहे। वहीं बादशाह खान सिविल अस्पताल में इस झुलसा देने वाली गर्मी में जहां एक तरफ एसी बंद नजर आए, तो वहीं पंखे भी बंद थे । यहां चिकित्सकों के न होने से भी मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ी।
जानकारी के मुताबिक गर्मी में बीके अस्पताल की ओपीडी में जहां एक तरफ मरीज गर्मी से बेहाल नजर आए। वहीं यहां चिकित्सक न होने से भी मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ी। त्वचा रोग विशेषज्ञ यहां मात्र एक ही थे । जिसके कारण यहां लम्बी लाइनें लगी थी । मंगलवार को डिसेबल प्रमाण पत्र बनवाने आए लोग भी मनोरोग विशेषज्ञ के अवकाश पर होने के कारण परेशान होकर लौटते नजर आए । इसके अलावा कमरा नम्बर 17 में चिकित्सक न होने के कारण नाक, कान और गले की जांच करवाने वाले मरीजों को भी वापस लौटाया गया।
एक पंखा था चालू:
44 डिग्री तापमान वाली इस गर्मी में जहां लोग डायरिया, पेट दर्द और बदहजमी के शिकार हो रहे हैं। जिसके कारण बीके सिविल अस्पताल में भी मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। ऐसे में ओपीडी में लम्बी लाइनों में मरीज घंटो इलाज को खडे हो रहे हैं। बीके अस्पताल के पंजीकरण काउंटर पर लगे पांच में से मात्र एक पंखा ही चल रहा था । जिससे मरीज गर्मी में बेहालत होते नजर आए। मरीजों को यहां लम्बी लाईनों में परेशान देखा गया।
बच्चों के लिए पंखे नहीं:
ओपीड़ी में कुल 18 पंखे लगे हैं, लेकिन इसमें से एक उतरा हुआ था । वहीं दूसरी तरफ बच्चों को जहां झुलसा देने वाली गर्मी से बचाव करना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ देखने को मिला कि बच्चों की जांच वाले कमरे के बाहर पंखे ही नहीं थे। ऐसे में बच्चों को गर्मी से बचाव के लिए अभिभावक ओपीडी कार्ड से हवा करते नजर आए।
एसी बंद:
ओपीडी में 18 पंखों के अलावा डोनेट किए गए एसी भी लगेहैं। लेकिन यहां लगेएसी पूरी तरह से बंद हैं । जिस कारण यहां आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां ओपीडी में गर्मी इतनी होती है कि कई बार तो मरीज बेहोश होकर गिर जाते हैं। वहीं ओपीडी में कमरा नम्बर एक और 14 से 21 तक कोई भी पंखा नहीं लगा है। जिससे यहां मरीजों को परेशानियां होती है।