देश रोजाना, पलवल
प्रदेश सरकार द्वारा पंचायती राज चुनावों के लिए बनाए गए पढ़े लिखे जनप्रतिनिधियों के कानून में प्रदेश भर में डाक्यूमेंट्स के फजीवार्ड़े की शिकायतें आना आम बात हो गई है। इसी का ताजा उदाहरण सामने आया है। जिले के गांव बढ़ा में जहां बीते चुनावों में सरपंच पद पर निर्वाचित हुई सरपंच कोमल ने नामांकन पत्र के साथ जो शैक्षणिक योग्यता दशार्यी व सर्टिफिकेट लगाया वह जांच में फर्जी पाया गया है। जिसके चलते अब जिला उपायुक्त ने सरपंच कोमल को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक सप्ताह में इस संबंध में जबाब दायर करने को कहा है। इतना ही नहीं जबाब दायर न करने की स्तिथि में एक तरफा कार्यवाही करने को लिखा गया है।
जिला उपायुक्त कार्यालय द्वारा सरपंच को भेजे गए नोटिस के अनुसार गत 8 अगस्त को भेजे गए इस नोटिस के माध्यम से सरपंच को अवगत कराया गया है की जो चुनाव के समय आपने नॉमिनेशन के साथ दसवीं की मार्कशीट लगाई थी आप उसके फर्जी पाए जाने के दोषी पाए गए हो। पत्र के माध्यम से बताया की ग्राम पंचायत बढ़ा की सरपंच कोमल पत्नी वेदपाल ने सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा था जिसमें कोमल ने अपनी शैक्षणिक योग्यता दसवीं कक्षा राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान लखनऊ उत्तरप्रदेश से पास दिखाई थी। जबकि उक्त राजकीय शिक्षा संस्थान उत्तरप्रदेश लखनऊ का नाम परिषद निनियमों के अध्याय 12 व 14 में शामिल नहीं है और उक्त संस्थान उत्तरप्रदेश द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। साथ ही इस द्वारा प्रदत्तोर्मन पात्र भी मान्य नहीं है।
जिला उपयुक्त कार्यालय द्वारा जारी नोटिस में लिखा गया की राज्य निर्वाचन आयोग हरियाणा पंचकूला के द्वारा जारी पत्र के अनुसार भी उक्त बोर्ड मान्यता प्राप्त संस्थान नहीं है। इसलिए आप शैक्षणिक योग्यता का फर्जी प्रमाण पात्र लगाकर हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 175 के 5 के तहत अयोग्य हैं। नोटिस के माध्यम से सरपंच को साफ शब्दों में अवगत करा दिया है कि इस नोटिस के संबंध में जारी होने के 7 दिन के अंदर कार्यालय में जबाब दायर करें की क्यों न आपके खिलाफ पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए। जबाब दायर न करने पर आपके खिलाफ एक तरफा कार्यवाही की जाएगी।
बता दें कि सरपंच कोमल के खिलाफ दलबीर पुत्र रामचरण निवासी बढ़ा ने उपायुक्त कार्यालय में शिकायत दी थी। जिसमें बताया कि गांव की निर्वाचित सरपंच कोमल ने जो शैक्षणिक योग्यता नॉमिनेशन फार्म में दर्शाई है वह फर्जी है। जिसपर संज्ञान लेते हुए जिला उपायुक्त ने जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी के मार्फत जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सर्टिफिकेट की जांच कराई गई जो जांच में फर्जी पाई गई। जिस संबंध में सरपंच को एक सप्ताह का समय देकर नोटिस का जबाब देने के लिए कहा गया है। अब देखना यह होगा की फर्जी सर्टिफिकेट पाए जाने पर सरपंच कोमल जबाब दायर करती है या फिर प्रशाशन को खुद ही कार्यवाही अम्ल में लानी पड़ेगी।