जाको राखे साइयां मार सके न कोई…. यह लाइन चरितार्थ हुई है उस नवजात बच्ची के लिए जिसे एक कलयुगी मां ने झाड़ियों में मरने के लिए छोड़ दिया। जहां एक तरफ सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को साकार करने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे है तो वही दूसरी तरफ प्रदेश के अंदर बच्चियों को जन्म देने के बाद झाड़ियों में फेंका जा रहा है।
ऐसा ही एक झकझोर कर देने वाला मामला NHPC चौक के पास से सामने आया दरअसल NHPC चौक के पास झाड़ियों में एक नवजात बच्ची पड़ी हुई मिली। एक कलयुगी मां ने बच्चे को जन्म तो जरूर दिया लेकिन जब बेटी पैदा हो गई तो उसे एनएचपीसी चौक के पास झाड़ियों में फेंक कर फरार हो गई। बच्ची के झाड़ियों में पड़े होने की जानकारी उस समय मिली जब वहां से गुजर रही महिलाओं ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी। जिसके बाद बच्ची की जानकारी पुलिस को दी गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची सराय ख्वाजा थाना पुलिस ने बच्ची को कब्जे में लेकर फरीदाबाद बीके अस्पताल के निक्कू वार्ड में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। फिलहाल पुलिस आरोपी बच्ची की मां की तलाश में जुटी है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि बच्ची को रविवार की रात सराय ख्वाजा थाना पुलिस ने बीके अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां उसकी पूर्ण रूप से जांच की गई, फिलहाल बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।
पुलिस ने किया मामला दर्ज
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि फरीदाबाद के सभी अस्पतालों में बच्ची की फोटो भेजी गई है। अस्पतालों से पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई डिलीवरी का डाटा लिया जा रहा है। बच्ची के परिजनों की पहचान की जा रही है। बच्ची के परिजन मिलने पर उचित कानून कारवाई की जाएगी। नवजात शिशु के संबंध में नाम पता ना मालूम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि रात करीब 9:00 बजे जा रही थी तभी नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनी। पुलिस को सुचना दी गई। बच्ची को गुलाबी कपड़े पहना रखे थे। जिसे कोई छोड़कर चला गया था पुलिस ने नवजात शिशु के बारे में कुछ पूछताछ की लेकिन कुछ पता नहीं लगा। बरामद की गई बच्ची करीब 4-5 दिन की है। शिकायतकर्ता के साथ बच्ची को बीके अस्पताल में पहचान के लिए रखवाया गया व अस्पताल में भी पूछताछ की गई।
आखिर क्यों नवजातों को फेंक दिया जाता है?
समाज में इन दिनों नवजात बच्चों को झाड़ियों में फेंकने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है जो सभ्य समाज को शर्मशार कर रही है और इसका खामियाजा नवजात बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे मामलों में अगर ध्यान दिया जाए तो सबसे अधिक संख्या बच्चियों की ही होती हैं जिन्हें लोग सड़कों पर या झाड़ियों में छोड़ देते हैं। बेटी के पैदा होने पर या तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है या फिर फेंक दिया जाता है। ऐसे में उन कलयुगी माँओं का दिल भी नहीं पसीजता जो अपने ही जन्मे बच्चों को मरने के लिए छोड़ देती हैं।
sadb nahi hai kuch bolne ke liye kuch din jaise pala aur paal leti kya bigad jana uss ma ka