मन में कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही कर दिखाया है गाँव गढ़खेड़ा के युवाओं ने। जिन्होंने बिना सरकारी मदद से अपने सरकारी स्कूल की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल दी है। अब गांव गढ़खेड़ा का यह सरकारी स्कूल निजी स्कूलों को मात दे रहा है। दरअसल फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सीएसआर पैनल के निर्देश पर गुप्ता मशीन टूल्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग ने गाँव गढ़खेड़ा स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल की सूरत बदल गई है। वहीं स्कूल के सौंदर्यीकरण के साथ ही बच्चों के लिए बॉस्केट बॉल का भव्य ग्राउंड भी एफआईए ने यहां बनाया है।
एफआईए ने कराया नवीनीकरण:
गढखेडा निवासी यशवीर सिंह ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले स्कूल के नवीनीकरण व सौंदर्यीकरण के लिए फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को पत्र लिखकर संपर्क कर अनुरोध किया गया था। जिसे एफआईए ने स्वीकार किया और गुप्ता मशीन टूल प्राइवेट लिमिटेड के सीएसआर सौजन्य से सितंबर 2022 में स्कूल में रंग-रोगन का काम शुरू किया गया। सौंदर्यीकरण के अंतर्गत स्कूल में रंग-रोगन, साफ-सफाई और नये शौचालय बनाए गए। इसके अलावा पर्यावरण, पौधारोपण, स्वच्छता को लेकर भी विद्यालय के भवन की दीवारों पर चित्रकारी व संदेश लिखे गए हैं।
एफआईए ने किया स्कूल का दौरा:
स्कूल के मुख्याध्यापक विमल कुमार ने बताया कि नवीनीकरण व सौंदर्यीकरण का काम होने के बाद शनिवार को स्कूल प्रांगण में ग्रामीणों द्वारा अवलोकन व स्वागत समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गुप्ता मशीन टूल प्राइवेट लिमिटेड के डिप्टी मैनेजर गुरुदेव सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे तथा स्लेजहैमर ग्रुप के सीएमडी प्रदीप मोहंती विशिष्ठ अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। अतिथियों ने स्कूल का अवलोकन कर गांव के युवाओं के जज्बे की जमकर तारीफ की। गुरूदेव सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा समाज की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य कार्य है। इससे जहां सेवा करने वाले व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। वही समाज के प्रति उसका दायित्व भी पूरा होता है।
बदल गई स्कूल की तस्वीर:
मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर गाँव गढ़खेड़ा के राजकीय उच्च स्कूल में सौंदर्यीकरण अभियान देखते ही बनता है। इस स्कूल के भवन की हर दीवार सरकार द्वारा चलाए जा रहे जन-अभियान को लेकर संदेश दे रही है। सौंदर्यकरण योजना के तहत दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्रकारी है। स्कूल के प्रवेश द्वार को फेस लिफ्टिंग के तहत भव्य रूप दिया गया है। दीवारों पर वर्णमाला व फामूर्लें अंकित किए हुए हैं। बच्चे इन से पढ़ रहे हैं। खेल-खेल में बच्चे शिक्षित हो रहे हैं। दीवारों पर बने हुए चित्रों के माध्यम से बच्चे अनायास ही आसानी से सीख रहे हैं।