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हरियाणा में नगर निगम घोषित और कायम रखने के लिए न्यूनतम 3 लाख जनसंख्या होना आवश्यक : एडवोकेट हेमंत

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देश रोजाना, ब्यूरो
गुरुग्राम। लगभग अढ़ाई वर्ष पूर्व दिसंबर, 2020 में स्थापित मानेसर नगर निगम के कानूनी अस्तित्व पर ही गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि गत 7 जुलाई 2023 को हरियाणा सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय गजट में प्रकाशित एक ताज़ा नोटिफिकेशन मार्फ़त फरीदाबाद, गुरुग्राम और मानेसर तीनो नगर निगमों के वार्डाे की ताज़ा संख्या क्रमशः 46, 36 और 20 निर्धारित की गई है। यह नोटिफिकेशन शहरी निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव, विकास गुप्ता, आईएएस के हस्ताक्षर से जारी हुआ है। जिसमें उल्लेख है कि हरियाणा परिवार पहचान कानून, 2021 के अंतर्गत स्थापित परिवार सूचना डाटा कोष से प्राप्त की गई जनसंख्या या संबंधित नगर निगम क्षेत्र के पंजीकृत मतदाताओं के 140 प्रतिशत में से, जो भी अधिक हो, के अनुसार मानेसर नगर निगम की कुल जनसंख्या 1 लाख 60 हजार 886 है जिसमें बीसी (पिछड़ा वर्ग) ब्लाक-ए की आबादी 8 हज़ार 659 दर्शाई गई है। इसी के साथ साथ वर्ष 2011 में हुई पिछले सेन्सस (जनगणना) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मानेसर क्षेत्र की आबादी 1 लाख 11 हजार 163 दर्शायी गयी है। तब उसमें से एससी (अनुसूचित जाति) की आबादी 17 हजार 67 थी।

ऐडवोकेट हेमंत ने बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 के मौजूदा प्रावधानों अनुसार प्रदेश में नगर निगम घोषित करने और कायम रखने हेतु सम्बंधित क्षेत्र में न्यूनतम तीन लाख की जनसंख्या होना कानूनन आवश्यक है। वर्ष 2002 से पहले हालांकि जनसँख्या कि यह सीमा पांच लाख होती थी। परंतु तत्कालीन चौटाला सरकार ने 1994 कानून में संशोधन कर उसे घटाकर तीन लाख कर दिया था। बहरहाल, शहरी निकाय विभाग द्वारा जारी ताज़ा नोटिफिकेशन में मानेसर नगर निगम के अंतर्गत पड़ने वाले क्षेत्र की आबादी तीन लाख से कम होने के फलस्वरूप उसके कानूनी अस्तित्व पर ही सवाल उठता है।

उन्होंने आगे बताया कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 3 (2), जिसके अंतर्गत मानेसर नगर निगम स्थापित करने की नोटिफिकेशन सर्वप्रथम दिसम्बर,2020 में जारी की हुई थी, में स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य सरकार समय समय पर सरकारी गजट में नोटिफिकेशन द्वारा किसी भी म्युनिसिपेलिटी या मुनिसिपलिटीस ( शहरी निकाय या एक से अधिक शहरी निकायों ) जिसमें ग्रामीण क्षेत्र या उसका कुछ अंश/भाग भी शामिल हो सकता है, को नगर निगम के तौर पर घोषित कर सकती है। आज तक प्रदेश में स्थापित सभी दस नगर निगमें- फरीदाबाद, गुरुग्राम, अम्बाला, हिसार, करनाल, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सोनीपत और यमुनानगर सभी नगर निगम बनने से पूर्व मुनिसिपलीटीएस (नगर परिषद/पालिकाएं ) थीं।

चूंकि न तो मानेसर औद्योगिक नगरी/टाउनशिप में दिसम्बर, 2020 तक कोई म्युनिसिपेलिटी (नगर पालिका या नगर परिषद ) स्थापित की गयी थी और न ही यह क्षेत्र जून, 2008 से स्थापित गुरुग्राम नगर निगम में आता था, इसलिए मानेसर कभी भी पहले म्युनिसिपल क्षेत्र नहीं रहा है। इसलिए मानेसर को सीधे तौर पर नगर निगम घोषित करने पर ही मौजूदा कानूनी प्रावधानों अनुसार प्रश्नचिन्ह उत्पन्न हुआ था। हेमंत ने बताया कि देश के संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) अनुसार हालांकि अगर किसी औद्योगिक नगरी/टाउनशिप में म्युनिसिपल सेवाएं औद्योगिक स्थापना/उद्यमियों द्वारा प्रदान की जा रही हो या प्रस्तावित हो, तो वहां कोई भी नगर निगम या नगर निकाय संस्था घोषित करने से छूट होती है।

दिसंबर 2020 में प्रदेश का 11वां नगर निगम बना था मानेसर
दिसंबर, 2020 में हरियाणा कैबिनेट की बैठक में मानेसर नगर निगम को प्रदेश की 11 वी नगर निगम के तौर पर स्वीकृति प्रदान की गयी थी जो हालांकि गुरुग्राम ज़िले के भीतर ही पड़ती है। गुरुग्राम (तब गुडगाँव ) में जून, 2008 में नगर निगम बनायी गयी थी जिसके पहले आम चुनाव हालांकि उसके सवा तीन वर्ष पश्चात अर्थात मई, 2011 में करवाए गए थे। उसके बाद सितम्बर, 2017 में गुरुग्राम नगर निगम के दूसरे आम चुनाव करवाए गए एवं अब मौजूदा तौर पर गुरुग्राम नगर निगम के तीसरे आम चुनाव गत वर्ष 2022 से लंबित हैं। हेमंत ने बताया कि 24 दिसंबर 2021 को शहरी निकाय विभाग द्वारा एक अन्य गजट नोटिफिकेशन से मानेसर नगर निगम के कुल वार्डों की संख्या 20 निर्धारित की गयी थी। उपरोक्त नोटिफिकेशन में एक रोचक परन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण पॉइंट यह था कि उसमें मानेसर नगर निगम क्षेत्र की कुल जनसँख्या को 2 लाख 3 हज़ार 63 दर्शाया गया था जिसमें से अनुसूचित जाति की आबादी 31 हज़ार 960 थी। यह आंकड़े वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर थे।

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