– राजेश दास
छांयसा गांव में अटल बिहारी बाजपेयी मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन सरकार ने बड़े बड़े दावों के साथ किया था। लेकिन मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए करीब दो साल का समय गुजर जाने के बाद भी सरकार यहां सुविधाएं नहीं जुटा पाई है। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम तो चल रहा है। लेकिन यहां इलाज की अन्य सुविधाएं तो दूर आज तक ओपीडी की सुविधा भी शुरू नहीं हो पाई है। मेडिकल कॉलेज के लिए भर्ती किया गया स्टाफ और अन्य कर्मचारी फिलहाल बीके अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां यदि कोई कर्मचारी अथवा स्टूडेंट्स बीमार हो जाए तो उसके लिए दवा तक उपलब्ध नहीं होती। उन्हें भी अपना इलाज करवाने के लिए बाहर जाना पड़ता है। यहां पिछले दिनों सांप के काटने पर होम गार्ड को उसके साथी इलाज के लिए निजी अस्पताल में ले गए थे। मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा में तैनात 180 होम गार्ड पिछले चार महीने से वेतन न मिलने से काफी परेशान हैं।
वेतन न मिलने से होम गार्ड परेशान
छांयसा गांव स्थित अटल बिहारी बाजपेयी मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार ने करीब दो साल पहले 180 होम गार्ड तैनात किये थे। इनमें से करीब 150 होम गार्ड अन्य जिलों और करीब 30 फरीदाबाद के रहने वाले हैं। इन होम गार्ड्स का कहना है कि शुरू में तो सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। समय पर वेतन मिल जाता था। लेकिन पिछले काफी समय से वेतन में लगातार देरी होनी शुरू हो गई। इस बार तो सभी हदें पार कर दी गई। इस बार फरवरी से सरकार द्वारा उन्हें वेतन नहीं दिया गया। करीब चार महीने से वेतन न मिलने से उन्हें रोज परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वेतन के अभाव में वह न तो अपना खर्च चला पा रहे हैं और न ही घर पैसे भेज रहे हैं। अधिकारी उन्हें सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं।
सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है
मेडिकल कॉलेज में तैनात होम गार्ड्स का कहना है कि सरकार द्वारा उन्हें वर्दी पहना कर सुरक्षा के लिए ड्यूटी पर तो तैनात कर दिया है। लेकिन मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से लाठी और टॉर्च तक उपलब्ध करवाने की जरूरत महसूस नहीं की गई। दिन कीड्यूटी में तो काम चला लेते हैं। लेकिन रात की ड्यूटी उन्हें जान जोखिम में डाल कर करनी पड़ती है। मेडिकल कॉलेज परिसर में जहरीले सांपों का आतंक हैं। पिछले दिनों अंधेरे में सांप द्वारा काटने पर एक होम गार्ड की हालत गंभीर हो गई थी। उन्होंने बताया कि अन्य जिलों के होम गार्ड्स बाहर कमरे किराए पर ले रह रहे हैं। जबकि मेडिकल कॉलेज परिसर में हॉस्टल की बिल्डिंग खाली होने के बावजूद अधिकारी उन्हें जगह नहीं दे रहे हैं।
दवा तक उपलब्ध नहीं
किसी भी मेडिकल कॉलेज का नाम सामने आते ही, बेहतर इलाज, दवाईयों और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है। छांयसा गांव में स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में ऐसा कुछ भी नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज की लंबी चौड़ी इमारत में कक्ष तो सभी तरह के बनाए गए हैं। लेकिन सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी उपलब्ध नहीं हैं। Operation और मरीजों को दाखिल करने की सुविधा तो दूर की बात है। यहां अभी तक ओपीडी की सुविधा तक शुरू नहीं हो पाई है। इन डोर इलाज और ओपीडी की सुविधा के बिना मेडिकल के स्टूडेंट्स को यहां प्रेक्टिकल कैसे कराते होंगे, यह समझ से बाहर है। यहां तक कि दवाईयां तक उपलब्ध नहीं होती। पिछले दिनों होम गार्ड को सांप के कटने पर उसका इलाज करवाने के लिए बाहर ले जाना पड़ा था।
मिलता है सिर्फ आश्वासन
मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा में लगे होम गार्ड्स ने बताया कि अधिकारियों ने एक दो दिन में वेतन मिलने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज परिसर में एक हॉस्टल की इमारत खाली पड़ी है। जिसमें रहने की मांग होम गार्ड काफी समय से कर रहे हैं। इस बिल्डिंग में पानी को छोड़कर अन्य सभी सुविधाएं मौजूद है। उन्होंने पानी की सुविधा का इंतजाम खुद करने की बात अधिकारियों से की थी। लेकिन फिर भी उन्हें हॉस्टल नहीं दिया जा रहा है।