राजेशदास
शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर सरकार की तरफ से विभिन्न विभागों के माध्यम से करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाजा रहे हैं। लेकिन शहर में समस्याएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। जिससे आम लोगों को फायदा कम परेशानी ज्यादा हो रही है। नगर निगम, स्मार्ट सिटी और हूडा द्वारा ड्रेनेज सिस्टम बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च करने के दावें किये जाते हैं। लेकिन थोड़ी बरसात ही इनके तमाम दावों को खोखला साबित करके रख देती है। शहर के पॉश सेक्टर 21सी में स्थित पुलिस आयुक्त कार्यालय जिले के महत्वपूर्ण कार्यालयों में शामिल है। बरसात आते ही कार्यालय के सामने की सड़क पूरी तरह जलमग्न हो जाती है। पुलिस आयुक्त कार्यालय ही नहीं बल्कि बरसात आने पर शहर के कई कार्यालयों के आसपास पानी भर जाता है। संबंधित आला अधिकारियों द्वारा इस संदर्भ में निगम से शिकायत भी जरूर की जाती होगी। निगम इन अधिकारियों की नहीं सुन रहा तो आम लोगों की क्या सुनेगा।
सीपी की भी नहीं करते परवाह
निगम अधिकारियों को पुलिस आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय की भी परवाह नहीं है। पुलिस आयुक्त कार्यालय के ठीक सामने कभी बरसात का पानी बहता रहता है। गत दिवस बरसात के बाद पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने काफी भर गया था। जलभराव से कर्मचारियों और अन्य लोगों को भारी परेशानी अक्सर होती है। वहीं जल भराव के कारण उत्पन्न होने वाले मच्छरों की वजह से कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के बीमार होने का खतरा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि पुलिस आयुक्त कार्यालय की तरफ से निगम को इस समस्या से अवगत नहीं करवाया जाता। जल भराव की शिकायत मिलने पर निगम कर्मचारी मोटर लगाकर पानी निकाल देते हैं। बाद में फिर पहले जैसे स्थिति हो जाती है। यहां जलभराव की समस्या काफी पुरानी हो चुकी है। लेकिन निगम अधिकारियों द्वारा समस्या का ठोस समाधान नहीं किया जा रहा है।
अन्य कार्यालयों की भी यहीं स्थिति
सीपी ऑफिस की तरह शहर के अन्य कई कार्यालयों के आसपास भी बरसात आने पर पानी भर जाता है। निगम मुख्यालय के पिछले हिस्से में स्थित अतिरिक्त आयुक्त कार्यालय के सामने बरसात के बाद कई दिनों तक पानी भरा रहता है। एनआइटी इलाके में मेट्रो मोड़ के पास स्थित बड़खल तहसील की स्थिति तो काफी खराब है। बरसात में तहसील कार्यालय के सामने तो काफी मात्रा में पानी भरता है, साथ ही कार्यालय का परिसर तक जलमग्न हो जाता है। जबकि परिसर में एसडीएम बड़खल का कार्यालय भी मौजूद है। बरसात के बाद यहां लोगों को काफी परेशानी होती है। सेक्टर 55 में पुलिस चौकी परिसर में गौंछी तहसील का कार्यालय मौजूद है। बरसात आने पर इस कार्यालय के आसपास भी पानी भर जाता है। ऐसा नहीं है कि निगम को पता नहीं है। लेकिन अधिकारी आंखें मूंदे रहते है।
ठप हो चुका है ड्रेनेज सिस्टम
नयमों के मुताबिक किसी भी सेक्टर को विकसित करने के दौरान सडकों व गलियों के एक तरफ सीवर लाइन और दूसरी तरफ स्टॉर्म वाटर लाइन डाली जाती है। ताकि बरसाती पानी से भूजल को रिचार्ज किया जा सके। सभी सेक्टरों में स्टॉर्म वाटर लाइनें तो है। लेकिन इनका रख रखाव नहीं किया जाता। जिसके कारण स्टॉर्म वाटर लाइनें कुछ समय बाद ही जाम होनी शुरू हो जाती है। जब तक सेक्टर नगर निगम को हैंडओवर किया जाता है, तब तक लाइनें पूरी तरह ठप हो चुकी होती है। निगम अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं देते। जल भराव की समस्या उत्पन्न होने पर बरसाती पानी को सीवर लाइनों में डाला जाता है। जिससे पानी तो व्यर्थ होता ही है, साथ ही सीवर लाइनें भी ओवरफ्लो होने लगती है। जिसका खामियाजा सेक्टरों में रहने वाले लोगों को उठाना पड़ता है।
त्रस्त हो चुके हैं लोग
समाज सेवी जगदीश चौहान का कहना है कि निगम अधिकारियों की लापरवाही से सुहावनी बरसात लोगों को आपदा लगती है। सडकों के खतरनाक गड्ढे बरसात में जानलेवा बन जाते हैं। लापरवाही से हुए विकास के कारण सेक्टर और रिहायशी कालोनियां बरसात आने पर जलमग्न हो जाती हैं। यहां तक कि अनेक घरों में भी बरसात का पानी घुस जाता है।