संजय मग्गू
दिल्ली विधानसभा चुनाव के चलते हर राजनीतिक दल यमुना विवाद को तब तक जिंदा रखना चाहता ताकि इसके भरोसे मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया जा सके। पीएम नरेंद्र मोदी, हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और चुनाव आयोग सभी इस मामले में किसी न किसी तरह से आ जुड़े हैं। दरअसल, जहां तक यमुना में जहर मिलाने का अरविंद केजरीवाल का दावा है, वह किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। उनका यह बयान अपनी नाकामी छिपाने और मतदाताओं के बीच अपनी बेचारगी दिखाने के लिए दिया गया है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि यमुना का पानी स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नहीं है। यमुना पूरी तरह गंदी हो गई है। इसको स्वच्छ बनाने की जरूरत है। यमुना जल को लेकर विवाद दिल्ली और हरियाणा के बीच कोई नया नहीं है। इस मामले को लेकर करीब तीन दशक से दिल्ली और हरियाणा आपस में लड़ रहे हैं। कभी यह आरोप दिल्ली की ओर से लगाया जाता है कि हरियाणा उसके हिस्से का पानी कम दे रहा है। कभी यह दावा किया जाता है कि दिल्ली में बाढ़ लाने के लिए हरियाणा हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी जान बूझकर छोड़ रहा है। तीन दशक पहले 1995 में दिल्ली की ओर से पर्यावरणविद सुरेश्वर सिन्हा मामले को अदालत की चौखट तक लेकर गए थे। उन्होंने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि दिल्लीवासियों को पीने के लिए यमुना का पानी कम पड़ रहा है। यमुना में हरियाणा बहुत कम पानी छोड़ता है जिसकी वजह से दिल्ली की पानी की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। सुप्रीमकोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनी और फैसला दिया कि हरियाणा को एक मात्रा में पानी उपलब्ध कराना ही होगा। हरियाणा ने उस आदेश को मान लिया। हरियाणा अपने हिस्से का पानी रोककर बाकी पानी दिल्ली को देता रहा। इसके बावजूद दिल्ली सरकार कम पानी छोड़े जाने का रोना समय-समय पर रोती रही। हरियाणा से होने वाली पानी की सप्लाई का समुचित उपयोग करने के लिए दिल्ली में पक्की मूनक नहर तक बनाई गई। साल 2018 में दिल्ली जल बोर्ड ने एक बार फिर सुप्रीमकोर्ट की शरण ली। आश्चर्य तो तब हुआ, जब दिल्ली सरकार ने 2023 में यह आरोप लगाया कि दिल्ली में बाढ़ लाने के लिए हरियाणा यमुना में बहुत ज्यादा पानी छोड़ रहा है। इसके बाद एक साल भी नहीं बीता कि दिल्ली की जल मंत्री आतिशी जून 2024 में यह आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गईं कि हरियाणा यमुना में तय मात्रा में पानी नहीं छोड़ रहा है। पांच दिन में ही उनका धरना भी खत्म हो गया। आज भी यमुना विवादों में है। यह विवाद कब सुलझेगा, पता नहीं।
आखिर कब सुलझेगा हरियाणा दिल्ली के बीच यमुना जल विवाद
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