नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि स्पेशल ओलंपिक भारत के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि यदि मन में बुलन्द इरादे हों तो शारिरिक अक्षमता बाधा नहीं बनती है। स्पेशल खिलाड़ियों की जीत का महत्व उनके द्वारा जीते हुए मेडल से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पूरी मानवता को सभी चुनौतियों से निबटते हुए आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। इससे सामाजिक बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए सबको समाहित करने का संदेश मिलता है। महिला खिलाड़ियों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 89 पदक जीतने को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया।
इन खिलाड़ियों के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि स्पेशल खिलाड़ियों की यह उपलब्धि उनके जीवन में सफलता की पहली सीढ़ी है। अभी उन्हें अनेक सफलताएं अर्जित करनी हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे आगे भी इसी तरह देश का नाम रोशन करते रहेंगे। स्पेशल ओलंपिक भारत की चैयरपर्सन मल्लिका नड्डा ने बताया कि बर्लिन में आयोजित स्पेशल ओलंपिक में देश के 198 खिलाड़ियों ने भाग लिया। इन खिलाड़ियों ने दुनिया भर से आये कुल पांच हजार खिलाड़ियों के बीच अद्भुत खेल प्रतिभा दिखाते हुए 76 गोल्ड और 75 सिल्वर सहित कुल 202 मेडल जीतने में सफलता हासिल की। भारत के स्पेशल खिलाडिय़ों ने सबसे ज्यादा रोलर स्केटिंग में 31 मेडल प्राप्त किये। 102 महिला खिलाड़ियों ने भी हिस्सेदारी की और लगभग सौ मेडल प्राप्त किये। शिवानी ने अकेले तीन मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।
मल्लिका नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में सबके साथ, सबके विकास और सबके प्रयास की बात करते हैं। इस आयोजन के जरिए स्पेशल खिलाड़ियों को भी मुख्य धारा में शामिल होने और अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि इससे इन्हें भी देश की मुख्यधारा में समहित करने को सफलता मिलती है। क्रिकेट खिलाड़ी गौतम गंभीर ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करना सम्मान का विषय होता है। ऐसे में मेडल न जीतने वाले खिलाड़ी भी उतने ही सम्मान के योग्य होते हैं। उन्होंने खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।