सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक अहम मुद्दे पर सुनवाई हुई,सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर अपराधों में आरोप तय किए गए लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने संबंधी याचिका पर जवाब के लिए केंद्र को दो हफ्ते का वक्त दिया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकर नारायणन ने यह बताया कि केंद्र सरकार ने इस मामले में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।
पीठ की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार के वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए और वक्त मांगा है कहा है कि हलफनामा दो हफ्ते के अंदर दाखिल किया जाए,सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस मुद्दे पर कोर्ट की तरफ से केंद्र और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किए गए थे। जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामलों में आरोप तय हुए हैं उन्हें चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने के अलावा याचिका में केंद्र और निर्वाचन आयोग को ऐसे उम्मीदवारों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
इस याचिका में यह भी दावा किया गया है की केंद्र और निर्वाचन आयोग ने विधि आयोग की सिफारिश और कोर्ट के पूर्व के दिशा निर्देशों के बावजूद इस संबंध में कोई भी कदम नहीं उठाया है।
इस याचिका में कहा गया की 2019 के लोकसभा चुनाव में 539 विजेताओं में से 233 यानी की 43 फीसदी अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए
गैर सरकारी संगठन एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक आंकड़ों पर नजर डालें तो याचिका में कहा गया है कि साल 2009 के बाद घोषित गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 109 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो चिंता और सोच का विषय है।
इसलिए ये जरूरी है कि जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट की इस बात को गंभीरता से लिया जाए।