इंडिया गठबंधन की मुंबई में चुनावी रणनीति को लेकर बैठक हो रही है तो वहीं राज्यों में सीटों के तालमेल को लेकर विपक्ष की सभी पार्टियों भाजपा के खिलाफ एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ने के लिए सीटों का बंटवारा भी करेंगे।झारखंड में भी इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर बंटवारे के फार्मूले की अनौपचारिक बहस चल पड़ी है। झारखंड में साथ पार्टियों को मिलाकर इंडिया का कुनबा बनेगा आगे चलकर कोई और पार्टी मिल जाए तो यह कुनबा बड़ा हो जाएगा। कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा,राजद,जदयू, भाकपा माले, भाकपा और माकपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं और इंडिया गठबंधन की सात पार्टिया इसकी दावेदार है, उनके सामने सीटों का बंटवारा बड़ी चुनौती होगा तो वहीं सात दलों के बीच 14 सीटें बांटना टेढ़ी खीर साबित होगा।
लोकसभा के पिछले चुनाव की बात करें तो यूपीए नाम के साथ इस गठबंधन में वैसा ही सब कुछ था जैसा आज इंडिया गठबंधन में दिखाई दे रहा है। मात्र एक दल जदयू उनके नए साथी के तौर पर शामिल हो गया है। जदयू पहले एनडीए का हिस्सा रहा है। साल 2019 में झाविमो प्र इनके साथ नए साथी के तौर पर शामिल था अब चुनाव आयोग की लिस्ट में झाविमो प्र का अस्तित्व नहीं रहा है।
सीटों के बंटवारे को लेकर जब इंडिया गठबंधन के बीच बात शुरू होगी तब पिछले चुनाव को सामने रखा जाएगा 2004 को छोड़ भी दे तो इसके बाद वाम दल लोकसभा चुनाव के दौरान यूपीए का हिस्सा कभी नहीं रहे जबकि कांग्रेस, झामुमो और राजद मिलकर चुनाव लड़ चुके हैं भाजपा माले और भाकपा अकेले चुनाव मैदान में थी इसलिए सीटों के बंटवारे के दौरान इंडिया गठबंधन पिछले लोकसभा के नतीजों और सीट बंटवारे के फार्मूले को आधार जरूर बनाएगा। इधर वामदलों ने चार सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा भी कर दिया है।
सत्तारुढ झारखंड मुक्ति मोर्चा फिलहाल राज्य में गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है। और इस बार वो बड़े भाई की भूमिका में आने को बेसब्र दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा बड़े भाई की भूमिका में आना चाहता है लेकिन कांग्रेस इसे स्वीकार करेगी या नहीं यह कहना जल्दबाजी होगा। वामदलों को इस कुनबे में शामिल करने में कांग्रेस को कुछ सीटों को त्यागना पड़ सकता है।