आगामी पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से कमर कस चुकी है। पार्टी कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती है, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है तो वहीं पार्टी को मध्य प्रदेश और तेलंगाना में भी जीत की उम्मीद है। पार्टी चुनाव राजनीति और उम्मीदवारों के चयन में किसी भी तरह से कोई कोताही नहीं बरतना चाह रही है।
कर्नाटक चुनाव की तर्ज पर कांग्रेस पार्टी इन पांचो राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी उम्मीदवारों के चयन में रणनीतिकार सुनील कानूगोलू और उनकी टीम का सर्वे अहम भूमिका निभा रहा है। पार्टी के अंदर खाने जो खबरें निकलकर सामने आई है,उसके मुताबिक सर्वे की पहली रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप दी गई है।
प्रत्याशियों के नामों के चयन में इस रिपोर्ट की अहम भूमिका मानी जा रही है। छत्तीसगढ़ में पार्टी ज्यादातर मौजूदा विधायकों को फिर से चुनाव में दांव लगाने की तैयारी में है तो वहीं मध्य प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग पर पार्टी का ज्यादा जोर है।
जीत की संभावना के साथ सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का भी ध्यान रखा जा रहा है। मध्य प्रदेश को लेकर स्क्रीनिंग समिति की बैठक हुई, पार्टी जल्दी ही अपने प्रत्याशी घोषित कर सकती है। कांग्रेस के सामने ज्यादा मुश्किल राजस्थान में दिखाई दे रही है। राजस्थान में रिवाज बदलने के लिए बड़े पैमाने पर मौजूदा विधायकों के टिकट काटने होंगे प्रदेश में सरकार के मुकाबले विधायकों के खिलाफ लोगों की ज्यादा नाराजगी है।
ऐसे में कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए नए लोगों पर दाव लगाना होगा। साल 2013 में कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए 105 उम्मीदवार दोहराए थे, इनमें से 91 हार गए थे तो वहीं 2013 के चुनाव में गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल 31 मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। इसलिए पार्टी सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन करने में लगी है।