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वन नेशन वन इलेक्‍शन पर कमेटी का गठन

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केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा कर दी है, इसके साथ यह भी माना जा रहा है कि सत्र में एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता जैसे विधायेको पर चर्चा होगी हालांकि विपक्ष की तरफ से अचानक से सत्र बुलाए जाने को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। गौरतलब है की संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया एक्‍स यानी कि ट्वीटर पर पोस्‍ट में कहा है की विशेष सत्र में पांच बैठक होगी और पुराने भवन के साथ ही नए भवन की तस्वीर भी साझा की है। सूत्रों के मुताबिक विशेष सत्र के दौरान संसदीय कामकाज नए संसद भवन में हो सकता है

तो वहीं चर्चा इस बात पर भी जोरों से हो रही है कि इस विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव पर मुहर लग जाएगी तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार एक देश एक चुनाव पर कमेटी का गठन भी कर चुकी है केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन की दिशा में अहम कदम उठाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है,जिसके सदस्यों को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा विधानसभा चुनाव को एक साथ करने की वकालत हमेशा से की है और अब इस पर विचार करने के लिए रामनाथ कोविंद को जिम्मेदारी सौंपी गई है, एक देश एक चुनाव के बिल के समर्थन के पीछे सबसे अहम वजह यह बताई जा रही है कि चुनावी खर्च में जो अरबों-खरबों रुपए खर्च होते हैं उसे बचा जा सकता है। हर साल होने वाले चुनाव पर भारी धनराशि खर्च होती है 1951-52 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रुपए खर्च हुए थे जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 60000 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च हुई थी

प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि इससे देश के संसाधन बचेंगे और विकास की गति और तेज होगी इसके साथ ही यह भी तर्क दिया जाता है कि भारत जैसे बड़े देश में हर साल कहीं ना कहीं चुनाव होते रहते हैं और जिनके आयोजन में पूरा स्टेट मशीनरी और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है समय की बर्बादी होती है और अगर वन नेशन वन इलेक्शन हो गया तो पूरे देश में चुनाव के लिए एक ही वोटर लिस्ट होगी,जिससे सरकार के विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी बार-बार चुनाव की वजह से आदर्श आचार संहिता लागू करनी पड़ती है,जिससे सरकार वक्त पर कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले पाती है और कई तरह की योजनाओं को लागू करने में भी मुश्किलें आती है विकास कार्य प्रभावित होते हैं और सबसे बड़ी बात एक देश एक चुनाव के पक्ष में जो तर्क दिया जा रहा है वो है काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी क्योंकि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर ब्लैक मनी के इस्तेमाल का भी आरोप लगता रहा है।

तो वहीं वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ जो तर्क दिया जा रहा है उसमें यह बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय और क्षेत्र पार्टियों के बीच मतभेद और ज्यादा बढ़ जाएगा, इससे राष्ट्रीय पार्टी को बड़ा फायदा पहुंचेगा जबकि छोटे दलों को नुकसान होने की संभावना है तो वहीं पूरे देश में एक साथ लोकसभा विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे तो चुनावी नतीजे में भी देरी हो सकती है और जिसका खामियाजा आम लोगों को भी भुगतना पड़ेगा।

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