विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 14 टीवी पत्रकारों की एक सूची जारी की है,जिसमें कहा गया है कि उनके टीवी शो में विपक्ष गठबंधन मीडिया प्रतिनिधि या प्रवक्ता हिस्सा नहीं लेंगे। अब इस पूरे मामले पर सियासी हलचल मची हुई है, विरोध के स्वर गूंज रहे हैं, जहां बीजेपी ने इसकी निंदा की है तो वहीं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल संगठन ने गठबंधन के इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
गौरतलब है कि इंडिया गठबंधन की तरफ से 14 टीवी पत्रकारों के नाम की एक लिस्ट जारी की गई है, मीटिंग में यह तय किया गया था कि कमेटी अपना मीडिया ग्रुप तय करेगी,इसके साथ ही यह भी फैसला लेगी कि किन टीवी एंकर्स के शो में इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे।
इंडिया गठबंधन के इस फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है कि हमने कुछ एंकर्स की लिस्ट बनाई है, उनके टीवी शो और इवेंट का बहिष्कार किया जाएगा। हम उनकी नफरत भरी चीजों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं, जो समाज को खराब कर रही है,इसके साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि इन टीवी शोज में उनके नेताओं के खिलाफ हेडलाइंस और मिम्स बनाए जाते हैं, बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है,उन्होंने कहा कि हम इस फैसले को लेते हुए दुखी हैं। हम इनमें से किसी एंकर से नफरत नहीं करते हैं लेकिन हम अपने देश को, भारत को इससे ज्यादा प्यार करते हैं।
बीजेपी ने कांग्रेस के इस फैसले की निंदा की है। पार्टी की तरफ से आरोप लगाया गया है कि मीडिया को धमकाने का कांग्रेस का इतिहास रहा है, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब कांग्रेस ने मीडिया पर पाबंदी लगाई है। नेहरू ने बोलने की आजादी पर अंकुश लगाया था और उनकी निंदा करने वालों को गिरफ्तार करवाया था।
तो वहीं इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। राजीव गांधी ने मीडिया को सरकार के अधीन करने की कोशिश की थी। लेकिन यह सब विफल रहे। सोनिया गांधी की यूपीए ने सोशल मीडिया हैंडल्स को बैन करवाया था क्योंकि कांग्रेस को उनके विचार पसंद नहीं थे।
इंडिया गठबंधन के इस फैसले को भाजपा के साथ-साथ समाचार प्रचारक संघ ने भी गलत माना है न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल संगठन ने गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने को कहा है।
NBDA ने कहा कि इंडिया मीडिया कमेटी के फैसले ने खतरनाक मिसाल पेश की है। NBDA ने लिखा है कि यह बैन लोकतंत्र के लोकाचार के खिलाफ है और असहिष्णुता का संकेत देता है। NBDA विपक्षी गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने की गुहार भी लगाई है।