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अंतरिष्क में जाने वाला भारत का पहला आदमी। राकेश शर्मा

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विंग कमांडर राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री थे। वह 3 अप्रैल 1984 को सोयूज T-11 अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे। उनका यह मिशन 7 दिन 21 घंटे 40 मिनट तक चला था।

शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उन्होंने 1970 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए। वह एक अनुभवी पायलट थे और उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी भाग लिया था।

1982 में, शर्मा को भारत और सोवियत संघ के संयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चुना गया था। उन्होंने सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी मालिशेव और गेनेडी स्ट्रेकलोव के साथ प्रशिक्षण लिया।

3 अप्रैल 1984 को, शर्मा, मालिशेव और स्ट्रेकलोव सोयूज T-11 अंतरिक्ष यान पर सवार होकर बैकोनूर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए। उन्होंने सैल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन पर सात दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग किए और पृथ्वी की तस्वीरें लीं।

7 अप्रैल 1984 को, शर्मा, मालिशेव और स्ट्रेकलोव सोयूज T-10 अंतरिक्ष यान पर सवार होकर पृथ्वी पर लौट आए। उनका यह मिशन सफल रहा और उन्होंने अंतरिक्ष में भारत का नाम ऊंचा किया।

शर्मा को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया है। वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय अंतरिक्ष सलाहकार परिषद के सदस्य भी हैं।

राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री होने के साथ-साथ एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं। उन्होंने दिखाया कि भारतीय भी अंतरिक्ष में जा सकते हैं और महान उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। शर्मा की उपलब्धि ने भारतीय युवाओं को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है।

शर्मा एक राष्ट्रीय नायक हैं और उनका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

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