संसद के विशेष सत्र की शुरुआत राज्यसभा और लोकसभा दोनों ही सदनों में सोमवार को हुई। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषण की शुरुआत कविता के साथ की। इस कविता के जरिए,उन्होंने सरकार को घेरा और कहा कि आपसे कुछ नहीं हो पाता तो आप कुर्सी छोड़ दें, आपको बात-बात पर डरने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषण में जो कविता कहीं उसमें,उन्होंने कहा बदलना है तो अब हालात बदलो ऐसे नाम बदलने से क्या होता है, देना है तो युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके क्या होता है, दिल को थोड़ा बड़ा करके देखो, लोगों को मारने से क्या होता है, कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो बात-बात पर डरने से क्या होता है, अपनी हुक्मरानी पर तुम्हें गुरूर है, लोगों को डराने धमकाने से क्या होता है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए कहा कि जब वह देश के प्रधानमंत्री थे तो देश की नींव पड़ रही थी और जो पत्थर नींव में पड़ते हैं, वह नहीं दिखते हैं, जो दीवार पर लिखे जाते हैं वही दिखते हैं,उन्होंने राज्यसभापति जगदीश धनकड से कहा कि आप बहुत दिलदार हैं, आपसे गुजारिश करता हूं कि संजय सिंह और राघव चड्ढा को वापस बुला ले। जितने भी महान नेता सदन का हिस्सा बने हैं फिर वह अमीर हो या गरीब सबका एक ही वोट रहा है।
इन दिनों विपक्ष को सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के जरिए इंडि कहा जा रहा है इस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष ने अपने नए गठबंधन का नाम इंडि यानी इंडिया रखा है लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी उसे घेरने के लिए इंडि का सहारा ले रही है। इस पर राज्यसभा में खड़गे ने कहा कि आप इंडि बोलो या कुछ और बोलो हम लोग इंडिया हैं नाम बदलने से कुछ नहीं होता है।
खड़गे बोले संविधान का निर्माण करने वाली सात लोगों के सदस्यों की भूमिका में सबसे जरूरी भूमिका बाबा साहेब भीमराव की अंबेडकर की थी, खडगे ने कहा कि एक व्यक्ति ने संविधान को मजबूत करने के लिए देश को मजबूत करने के लिए काम किया यह सब कांग्रेस की सरकार में हुआ, हमने इस मेहनत से कमाया है। हम इसे गवाना नहीं चाहते,उन्होंने कहा कि कई लोगों को लगता था कि भारत अंगूठा छाप देश है हमें बार-बार टोका जाता है कि हमने 70 साल में क्या किया। हमने 70 साल में लोकतंत्र को मजबूती दी, आपके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है तो आप यही कह दीजिए।
तो वहीं मल्लिकार्जुन खड़के ने विपक्ष से सरकार की नाराजगी पर कहां की सत्ता का हस्तांतरण बंदूक के दम पर नहीं हुआ, गांधी जी ने जो आजादी दिलाई वह अहिंसा पर थी। इस भवन में 75 सालों के दौरान इस देश की सूरत बदली है, नेहरू जी सबको साथ लेकर चलते थे,उन्होंने पहली कैबिनेट में विपक्ष के लोगों को शामिल किया आप तो हमारी परछाई भी नहीं देखना चाहते हैं।
इसके साथ ही मल्लिकार्जुन लड़के ने नेहरू को लेकर के ही तरह की बातें की जाती है यह भी कहा और कहा कि जिस व्यक्ति ने देश की आजादी के लिए 14 साल जेल में बिताए सत्ता हासिल करने के बाद देश में बड़े-बड़े कारखाने लगाए हो विपक्ष के नेता को मंत्री बनाया हो उसे लेकर आपत्तिजनक बातें कही जाती है लड़के ने कहा कि नेहरू संसद का सम्मान करते थे वह विपक्ष के नेताओं को ध्यान से सुनते थे अब तो कुछ लोग संसद में आते ही नहीं है उन्हें देखें बहुत दिन हो गए हैं।