सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली करीब 20 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा इन याचिकाओं पर 2 अगस्त से रेगुलर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 पर लगभग तीन साल बाद सुनवाई हो रही है। इससे पहले साल 2020 में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। तब कोर्ट ने कहा था कि यह मामला बड़ी संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के एक दिन पहले सोमवार 10 जुलाई को केंद्र ने इस मामले पर नया एफिडेविट दाखिल किया था। जिसमे केंद्र ने कहा जम्मू कश्मीर करीब तीन दशकों तक आतंकवाद को झेलता रहा। वहां पर आतंकवाद को खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 हटाना। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘हम इन याचिकाओं पर 2 अगस्त से सुनवाई करेंगे। कोर्ट में आर्टिकल 370 पर सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर हर दिन सुनवाई होगी।’
चार सालों से सुप्रीम कोर्ट में है मामला
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटा दिया था। जिसके बाद संविधान पीठ ही अक्टूबर 2020 से इसकी सुनवाई कर रही है। अब इन याचिकाओं की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ही करेगी। जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल होंगे।
केंद्र ने नए एफिडेविट में रखी 370 हटाने की तीन दलीलें
- पहली दलील : केंद्र सरकार ने अपनी पहले दलील में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले का बचाव किया। अपने नए एफिडेविट में केंद्र ने कहा कि, आर्टिकल 370 से हटाने से टेरर नेटवर्क तबाह हुआ है। जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी और सड़कों पर हिंसा जैसी घटनाएं अतीत का हिंसा बन चुकी हैं।
- दूसरी दलील : पत्थरबाजी की यही घटनाएं आतंकवाद और अलगाववाद का हिस्सा रही हैं। साल 2018 में ये चरम सीमा पर थी, इस साल पत्थरबाजी की घटनाएं करीब 1767 की संख्या में हुईं। 2023 में यह घटनाएं अब शून्य हो चुकी हैं। 2018 में बंद और हड़ताल करीब 52 बार हुईं जबकि 2023 में एक भी नहीं।
- तीसरी दलील : आतंकववादियों की भर्ती से यह साफ जाहिर होता है कि टेरर इको-सिस्टम खत्म हो गया है। साल 2018 में करीब 199 युवा आतंकवादी बने। साल 2023 में इनकी संख्या महज 12 रह गई है।
- चौथी दलील : आज घाटी में सभी जरूरी संस्थान जैसे स्कूल, कॉलेज, उद्योग आदिसामान्य रूप से चल रहे हैं। औद्योगिक विकास भी हो रहा है और लोग भी अब सुकून से से जी रहे हैं।
तीन साल बाद सुनवाई पर आए दो बयान
- मेहबूबा मुफ्ती : वहीं इस मामले पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने कहा कि, ‘मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर की जनता को न्याय मिलेगा। ‘
- उमर अब्दुल्ला : जम्मू-कश्मीर के पूर्ण मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मामले पर कहा कि, उम्मीद जगी है कि जो अधिकार 5 अगस्त 2019 को हमसे छीने गए वे हमें वापस मिलेंगे।’
पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव की हुई थी याचिका खारिज
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिना किसी देरी के विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आर्टिकल 370 से जुड़ा मामला 11 जुलाई को लिस्टेड है जिसके बाद ही चुनाव को लेकर सुनवाई होगी।