महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को आए एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस अब भी बरकरार है। इस बीच, कार्यवाहक उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शनिवार को बयान दिया कि दिल्ली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि महायुति सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से होगा, जबकि उपमुख्यमंत्री पद बाकी दो सहयोगी दलों को दिया जाएगा।
अजित पवार ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब सरकार गठन में देरी हो रही है। अगर आप 1999 को याद करें तो उस समय भी सरकार बनाने में एक महीने का वक्त लगा था।”
चुनाव परिणाम और महायुति की जीत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए, जिसमें महायुति ने कुल 288 सीटों में से 235 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीटें जीतीं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत हासिल की। महायुति के अन्य सहयोगी दलों ने भी कुल 5 सीटें जीतीं।
नतीजों के बाद की राजनीति
महायुति की ऐतिहासिक जीत के बाद सरकार गठन की कवायद तेज हो गई। भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के बीच बैठकों का दौर शुरू हुआ। नतीजों के अगले ही दिन, 24 नवंबर को, एनसीपी विधायक दल ने अजित पवार को अपना नेता चुना और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। वहीं, शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे को नेता चुना और उनके मुख्यमंत्री बने रहने की वकालत की।
एकनाथ शिंदे का इस्तीफा और आगे की राह
26 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री बन गए। शिंदे ने अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने का संदेश दिया और महायुति गठबंधन की मजबूती पर जोर दिया।
अब सभी की निगाहें महायुति के अंतिम फैसले और नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा पर टिकी हैं।