Friday, December 27, 2024
14.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiमहात्मा बुद्ध ने अंगुलिमाल को बनाया भिक्षु

महात्मा बुद्ध ने अंगुलिमाल को बनाया भिक्षु

Google News
Google News

- Advertisement -

Editorial: महात्मा बुद्ध अपने जीवन काल में कहीं भी एक जगह टिक कर नहीं रहे। जब उन्होंने लोककल्याण के लिए घर का परित्याग कर दिया, तो पहले उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। वह शायद दुनिया के पहले विचारक थे जिन्होंने दुखों का कारण खोजने का प्रयास किया। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव से इस बात का पता लगा लिया था कि सभी दुखों का कारण निजी संपत्ति है। यही वजह है कि उन्होंने अपने संघ में किसी भी भिक्षु को निजी संपत्ति का त्याग करने के बाद ही प्रवेश दिया था। संघ में निजी संपत्ति के नाम पर भिक्षु के पास चीवर यानी एक जोड़ी पहनने का कपड़ा और भिक्षा पात्र होता था।

भिक्षु के निधन के बाद यदि कपड़ा पहनने लायक है, तो भिक्षा पात्र के साथ उस वस्त्र को किसी नए भिक्षु को दे दिया जाता था। उनके उपदेश बिल्कुल सरल और जीवन से जुड़े हुए होते थे। उन्होंने जीवन भर पाखंड का विरोध किया, यही वजह है कि महात्मा बुद्ध और उनका दर्शन लोकजीवन में बहुत लोकप्रिय हुआ। एक बार की बात है। महात्मा बुद्ध श्रावस्ती में आए। उन्होंने अंगुलिमाल डाकू के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। जब वह श्रावस्ती से चलने लगे, तो उन्होंने वह रास्ता पकड़ा, जो अंगुलिमाल का इलाका कहा जाता था।

वह उस रास्ते पर बढ़े चले जा रहे थे, तभी एक व्यक्ति तलवार लेकर आ खड़ा हुआ और बोला, ठहरो! महात्मा बुद्ध ने कहा कि मैं तो ठहर गया, तू कब ठहरेगा? यह सुनकर अंगुलिमाल जड़ होकर रह गया। उसे लगा कि मानो वह तेजस्वी व्यक्ति उससे कह रहा हो कि मैं तो अपने पाप कर्म में ठहर गया, तू कब ठहरेगा? यह सुनकर उसे ज्ञान हुआ और वह महात्मा बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा। उसी दिन से वह भिक्षु हो गया। महात्मा बुद्ध के निर्देश पर वह श्रावस्ती में भिक्षा मांगने गया। पहले तो लोग डरे और जब यह जाना कि वह भिक्षु हो गया है, तो लोगों ने उसे पत्थर मार-मार कर लहूलुहान कर दिया, लेकिन उसने प्रतिकार नहीं किया। कुछ समय बाद लोगों ने उसे क्षमा करके अपना लिया।

  • अशोक मिश्र
- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Manmohan Singh: भारतीय इकॉनमी के डॉक्टर नहीं रहे

भारत में आर्थिक सुधारों के प्रणेता पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के...

Manmohan Singh: संसद में झेला अविश्वास प्रस्ताव, लेकिन परमाणु डील फाइनल करके ही माने मनमोहन

साल 2008 में अमेरिका के साथ भारत का ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौता हुआ। विदेश नीति के क्षेत्र में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते इस...

Recent Comments