पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न की तुलना भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति से की और मस्जिदों के सर्वेक्षण पर अपनी आपत्ति व्यक्त की। महबूबा का कहना था कि अगर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ वही व्यवहार किया जाता है, जो बांग्लादेश में हो रहा है, तो इसमें कोई अंतर नहीं रहेगा।
महबूबा ने कहा, “हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है और हमें इसे बनाए रखना चाहिए, लेकिन जब यहां अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है और मस्जिदों को तोड़ा जा रहा है, तो यह हमारी धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाता है।” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू भाई उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, और अगर भारत में भी ऐसा ही होता है, तो हम क्या कहेंगे? उन्होंने यह भी कहा कि भारत में धार्मिक आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है, जिससे देश की एकता को खतरा हो सकता है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमें 1947 जैसी विभाजन की स्थिति की पुनरावृत्ति से बचने के लिए संघर्ष करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में स्थितियां ठीक नहीं हैं और सरकार जनता की बुनियादी जरूरतों जैसे रोजगार, शिक्षा, अस्पतालों और सड़कों के बारे में ध्यान नहीं दे रही है। इसके बजाय, मस्जिदों को निशाना बनाकर लोगों का ध्यान भटकाया जा रहा है।
भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि उनका बयान राष्ट्र-विरोधी और पूरी तरह से गलत है। भाजपा नेता रविंद्र रैना ने कहा, “महबूबा का यह बयान पूरी तरह से निंदनीय है, क्योंकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय को भयानक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, और वह भारत की स्थिति से उसकी तुलना कर रही हैं।”
महबूबा ने अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए एकजुट होकर इस उभरते खतरे का सामना करें। उन्होंने कहा, “हमारे देश में अधिकांश हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं, और हमें इस स्थिति का मुकाबला करना होगा ताकि हम एक साथ रह सकें।”
महबूबा ने भारत के महान नेताओं जैसे महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल और डॉ. आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि इन नेताओं ने इस देश को विभिन्न धर्मों के लोगों का घर बनाया। उनका कहना था कि हमें इन नेताओं की विरासत को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना होगा और देश की एकता की रक्षा करनी होगी।
इस बयान ने राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, और भाजपा ने महबूबा मुफ्ती पर जल्द कार्रवाई की मांग की है।