राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सोमवार को राज्यसभा में चर्चा हुई। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun kharge) ने चर्चा के दौरान बड़ा बयान दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को ‘घोर निराशाजनक’ और केवल ‘सरकार की तारीफों के पुल बांधने वाला’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें न तो कोई दिशा है और ना ही कोई दृष्टि है।
Mallikarjun kharge: NEET-UG की जांच कराने की मांग
खरगे (Mallikarjun kharge) ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (NEET-UG) की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की। साथ ही जाति आधारित जनगणना कराने और अग्निवीर योजना को रद्द करने की भी मांग की। सत्तारूढ़ बीजेपी पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव के नतीजों को उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चुनावों में देश का संविधान और जनता सब पर भारी रहे और संदेश दिया कि लोकतंत्र में अहंकारी ताकतों को कोई जगह नहीं है।
‘ना कोई दिशा, ना ही कोई दृष्टि’
उन्होंने (Mallikarjun kharge) कहा, ‘राष्ट्रपति का अभिभाषण की विषय-वस्तु सरकारी होती है। सरकारी पक्ष को इसे दृष्टि पत्र बनाना था और यह बताना था कि चुनौतियों से कैसे निपटेंगे लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं है।’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले अभिभाषण का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा कि वह ‘चुनावी’ था और दूसरा उसी की प्रति जैसा है। उन्होंने कहा, ‘इसमें ना कोई दिशा है, ना ही कोई दृष्टि है। हमें भरोसा था कि राष्ट्रपति संविधान और लोकतंत्र की चुनौतियों पर कुछ बातें जरूर रखेंगी, सबसे कमजोर तबकों के लिए कुछ ठोस संदेश देगी लेकिन हमें घोर निराशा हुई कि इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं है।’
बातें सिर्फ भाषणों तक सीमित
राष्ट्रपति के अभिभाषण में सबको साथ लेकर चलने की बात का जिक्र करते हुए खरगे (Mallikarjun kharge) ने कहा कि इस भाव से किसी को इनकार नहीं हो सकता। लेकिन 10 साल का विपक्ष का तजुर्बा यह है कि यह बातें भाषणों तक ही सीमित रही है। जमीन पर उल्टा हुआ। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने अधिक उत्साह से भाग लिया लेकिन शहरों में पढ़े लिखे और पैसे वाले लोग इसमें पीछे रहे।