सरकार द्वारा औचक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है, जिसमें एक अटकल सबसे बड़ी यह है कि वक्त से पहले लोकसभा चुनाव की बात की जा रही है। हालांकि इस बारे में पहले भी कई बार जिक्र हो चुका है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज के तौर तरीकों को समझने वाले मानते हैं कि मोदी एक जुट हो रहे विपक्ष के लिए एक और बड़ी चुनौती इस विशेष सदन सत्र के जरिए पेश करने जा रहे हैं। विपक्ष जहां मोदी हटाओ के फार्मूले पर मंथन कर रहा है तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी देश के विकास के लिए पार्टी के बाकी रह गए एजेंडे को पूरा करने का संदेश देने की कोशिश करेंगे। प्रधानमंत्री देश को आगे बढ़ाने के अभियान में जुटे हैं जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक सत्र के दौरान यूसीसी, महिला आरक्षण, एक देश एक चुनाव को पारित करने जैसे अहम बिलों की बात कही जा रही है। वे लोकसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। एक देश एक चुनाव की सोच से विपक्ष असहमत नहीं है महिला आरक्षण विधायेक का विरोध भी मुमकिन नहीं है।
ऐसे में यह विधेयक विपक्ष की उसे रणनीति को काट कर सकता है जो सिर्फ मोदी को हटाने पर केंद्रित है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ममता बनर्जी वक्त से पहले लोकसभा चुनाव की बात कर रहे हो लेकिन मोदी की रणनीति जल्दी चुनाव कराने की बजाय ज्यादा काम पर केंद्रित रहेगी और अगर यह सभी विधेयक विशेष सत्र में पास हो भी जाते हैं तो भी राम मंदिर के शुभारंभ जैसे कई ऐसे काम है जो चुनाव से पहले अभी होने बाकी है। इसलिए यह संभावना ज्यादा है कि पुराने अनुभवों से सबक लेते हुए पार्टी जल्द चुनाव से बचेगी।
विपक्ष की रणनीति को धराशाई करने वाले सरकार के मुख्य कदमों की बात की जाए तो मोदी देश की अर्थव्यवस्था को अगले पांच सालों में पांचवें से तीसरे नंबर पर लाने का ऐलान कर चुके हैं और मौजूदा रिपोर्ट के मुताबिक हालात इसके सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने की ओर इशारा भी करते हैं तो वहीं लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33फीसदी आरक्षण के जरिए सीधे आधी आबादी तक पहुंचाना भी एक बड़ा कदम होगा।इसके अलावा चुनाव से पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर की शुरुआत से सीधे जनता से जुड़ना है और एक देश एक चुनाव के जरिए चुनाव पर होने वाले अरबों-खरबों का खर्च, वक्त और श्रम शक्ति की बर्बादी को रोकना भी है।