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Tata Will: कौन रखेगा रतन टाटा के जर्मन शेफर्ड ‘टीटो’ का ध्यान, सामने आया नाम

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टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और मानद चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनकी विशाल विरासत के भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच, उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा समूह से जुड़े प्रमुख ट्रस्ट्स का चेयरमैन चुन लिया गया है। इसके अलावा, अब रतन टाटा की 10,000 करोड़ रुपये की वसीयत से जुड़ी जानकारियाँ भी सामने आई हैं।

पालतू कुत्ते की देखभाल का विशेष प्रावधान

रिपोर्ट के मुताबिक, रतन टाटा ने अपनी वसीयत में एक खास इंतजाम किया है। उन्होंने अपने जर्मन शेफर्ड कुत्ते टीटो के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। लगभग 5-6 साल पहले गोद लिए गए टीटो को “असीमित” देखभाल मिलेगी। उनके वफादार रसोइये राजन शॉ, जो पहले से ही टीटो की देखभाल कर रहे हैं, वसीयत में मिले संसाधनों के साथ टीटो का ख्याल रखेंगे।

विरासत का बड़ा हिस्सा RTEF को जाएगा

रतन टाटा ने अपनी वसीयत में उल्लेख किया है कि उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को सौंपा जाएगा। इस फाउंडेशन की स्थापना 2022 में टाटा की समाज सेवा और परोपकार की परंपरा को बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी। RTEF को टाटा संस और टाटा समूह की अन्य कंपनियों में रतन टाटा की हिस्सेदारी सौंपी जाएगी।

RTEF के संचालन में एन चंद्रशेखरन का नेतृत्व

रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस के वर्तमान अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन फाउंडेशन के कार्यों का संचालन करेंगे और समाज सेवा में टाटा के दृष्टिकोण का पालन करेंगे। RTEF ने पहले ही टाटा टेक्नोलॉजीज और टाटा डिजिटल में निवेश किया है। वसीयत RTEF को टाटा के स्टार्टअप निवेशों से हिस्सेदारी की बिक्री कर लाभ कमाने की भी अनुमति देती है।

परिवार और करीबी सहयोगियों के लिए प्रावधान

रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपने परिवार के सदस्यों के लिए भी हिस्सेदारी दी है। उनके भाई जिमी टाटा और उनकी सौतेली बहनों शिरीन और डीना जीजीभॉय को भी लाभार्थियों में शामिल किया गया है। उनके बटलर सुब्बिया और कार्यकारी सहायक शांतनु नायडू को भी वसीयत में जगह मिली है। नायडू का शिक्षा ऋण माफ कर दिया गया है, और उनके स्टार्टअप गुडफेलो में टाटा की हिस्सेदारी पर भी दावेदारी नहीं रहेगी।

लग्जरी कारें और बंगलों का भविष्य

रतन टाटा के निजी लग्जरी कारों के संग्रह का अभी तक कोई आधिकारिक वारिस नहीं बनाया गया है। विकल्पों में इन कारों की नीलामी करना या उन्हें सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखना शामिल है। इसके अलावा, अलीबाग में टाटा का समुद्र तट पर बना बंगला और मुंबई में जुहू तारा रोड पर उनका आवास भी इस संपत्ति का हिस्सा हैं, जिनके भविष्य के बारे में निर्णय लिया जाना बाकी है।

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