मोदी के पहले कार्यकाल कैबिनेट में मंत्री बने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को इस बार कोई जगह नहीं मिली लेकिन क्या इस बार राजस्थान का चुनाव उनकी सियासी हैसियत को तय करेगा।
कभी सेना में रहे राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जो ओलंपिक में गए और ऐसा निशाना साधा कि ओलंपिक में भारत को चांदी दिलवा दी और प्रधानमंत्री के मन को भा गए तो राजस्थान में सियासत में एंट्री हो गई। 2014 में उनको टिकट मिला जीत कर कैबिनेट में गए,2019 में भी जीत हासिल की लेकिन कैबिनेट से बाहर हो गए लेकिन अब 2023 में ऐसा लग रहा है कि उनकी सियासी हैसियत इस बार का विधानसभा चुनाव तय करेगा।
2014 में कांग्रेस के कद्दावर नेता और मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके डॉक्टर सीपी जोशी के खिलाफ जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा। राठौर ने भी पार्टी का भरोसा नहीं तोड़ा और सीपी जोशी को 3, 30,000 से ज्यादा वोटो के अंतर से शिकस्त दी।
2014 से पहले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ देश का नाम रोशन करने के लिए जाने जाते रहे थे 2004 में ओलंपिक में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता,अपने पहले कार्यकाल में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मोदी सरकार में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री के तौर पर जगह मिली,फिर उन्हें खेल और युवा मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया यह उनका प्रमोशन माना गया। इसी दौरान वह अपने दफ्तर में पुशअप करने के बाद विराट कोहली और धोनी को चैलेंज करते दिखे थे।
2019 में लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें फिर से सियासी मैदान में उतरा गया उनके सामने दिग्गज प्लेयर कृष्णा पूनिया थी एक बार फिर से राठौड़ पार्टी की उम्मीद पर खरा उतरते हुए बाजी मार गए। जयपुर ग्रामीण सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस की कृष्णा पूनिया को बड़े अंतर से हराकर लोकसभा में एंट्री की। कांग्रेस ने डिस्कस थ्रोअर खिलाड़ी कृष्णा पूनिया को उतारा था हालांकि कृष्णा पूनिया को राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने हरा दिया लेकिन उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। वैसे देखा जाए तो जब से उन्होंने सियासत में एंट्री की राठौड़ तरक्की पर है क्योंकि उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी,उनका जन्म जैसलमेर में हुआ,उनके पिता भारतीय सेना में कार्यरत थे,उनकी पत्नी गायत्री भी सेना में ही डॉक्टर है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सेना में एक बेहतरीन अफसर होने के साथ एक बेहतरीन निशानेबाज भी रहे 2004 में एथेंस ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक जीता,उसके बाद वह सुर्खियों में रहे। फिर 2002 राष्ट्रमंडल खेलों और 2006 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। 2004 और 2006 में विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया। मंत्री रहते खेलो इंडिया अभियान के लिए मेरी कॉम के साथ बॉक्सिंग करते और दोनों हाथों से टेबल टेनिस खेलते हुए भी कई बार कैमरे में कैद हुए। अब इस बार फिर से उन्हें विधानसभा के सियासी रण में उतारा गया है।
लेकिन इस बार सवाल ये उठ रहा है कि क्या वे कोई ऊंचा पद हासिल करेंगे या उनका सियासी भविष्य इस बार का चुनाव तय करेगा।