सरकार (BHARAT RICE:)ने उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों से राहत देने के लिए ‘भारत’ ब्रांड के तहत गेहूं के आटे और चावल की रियायती दर पर खुदरा बिक्री का दूसरा चरण मंगलवार से शुरू किया। सहकारी समितियों, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड), केंद्रीय भंडार, और ई-कॉमर्स मंच शामिल हैं, के माध्यम से गेहूं का आटा 30 रुपये प्रति किलोग्राम और चावल 34 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से पांच और 10 किलोग्राम के पैकेट में बेचा जाएगा।
खाद्य (BHARAT RICE:)मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इन सहकारी समितियों की ‘मोबाइल वैन’ को हरी झंडी दिखाते हुए कहा, ‘‘यह उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए एक अस्थायी हस्तक्षेप है।’’ उन्होंने बताया कि मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत दूसरे चरण में खुदरा हस्तक्षेप के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से 3.69 लाख टन गेहूं और 2.91 लाख टन चावल आवंटित किया गया है। जोशी ने कहा, ‘‘यह तब तक जारी रहेगा जब तक आवंटित भंडार समाप्त नहीं हो जाता। अगर और अधिक की आवश्यकता होगी तो हमारे पास पर्याप्त भंडार है और हम पुनः आवंटन करेंगे।’’
नए मूल्य निर्धारण ढांचे के तहत, गेहूं का आटा पांच और 10 किलोग्राम के पैक में 30 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध होगा, जबकि(BHARAT RICE:) चावल 34 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा। पहले चरण में चावल की कम बिक्री के संदर्भ में जोशी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य व्यापार करना नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘हमारा लक्ष्य उपभोक्ताओं को राहत देना और बाजार में कीमतों को नियंत्रित करना है।’’ मंत्री ने यह भी कहा कि यदि मांग बढ़ती है, तो सरकार छोटे आकार के पैकेट लाने पर विचार कर सकती है।
जोशी ने चावल के अधिशेष भंडार के बावजूद कीमतों में स्थिरता को समझने के लिए एक अध्ययन का आह्वान किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि कीमतें ‘‘काफी हद तक नियंत्रण में’’ हैं, केवल सामान्य गुणवत्ता वाली किस्मों में मामूली उतार-चढ़ाव है। पहले चरण में अक्टूबर 2023 से 30 जून 2024 तक 15.20 लाख टन गेहूं का आटा और 14.58 लाख टन चावल का वितरण किया गया था। जोशी ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर निरंतर हस्तक्षेप के लिए पर्याप्त भंडार उपलब्ध रहेगा। इस अवसर पर खाद्य राज्यमंत्री बी.एल. वर्मा और खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा भी उपस्थित थे।