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ऑनलाइन जानलेवा गेम्स के चंगुल में फंसते बच्चे

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मध्य प्रदेश का एक शहर है मुरैना। यहां रहने वाले एक किशोर ने अपनी मां से पूछा-छत से गिरने पर कितनी चोट लगती है? मां ने यह पूछने का कारण पूछा, लेकिन सत्रह साल के उसके लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया। 10 सितंबर को उस किशोर ने अपने घर की छत से कूदकर जान दे दी। कहा जा रहा है कि जब वह छत से कूदा था, उससे पहले आनलाइन पर फ्री खेले जाने वाले द फायर चैलेंज नामक गेम खेल रहा था। ऑनलाइन गेम्स पूरी दुनिया के बच्चों के लिए कितने खतरनाक साबित हो रहे हैं। यह बताने के लिए मुरैना की घटना बहुत है। इंटरनेट पर ऐसे-ऐसे गेम्स मौजूद हैं जो बच्चों और युवाओं को मौत के मुंह में ढकेल रहे हैं। सन 2017-18 में एक गेम द ब्ल्यू ह्वेल चैलेंज बहुत चर्चा में आया था। इस गेम में पचास टास्क पूरे करने होते थे। जैसे-जैसे गेम आगे बढ़ता है, खेलने वाले को सुसाइड करना पड़ता है। इस गेम के चक्कर में पूरी दुनिया में हजारों बच्चों ने सुसाइड कर ली थी। 

भारत सहित कई देशों ने इस गेम को प्रतिबंधित कर दिया था। मीडिया में इधर कुछ दिनों से खबर आ रही है कि द ब्ल्यू ह्वेल चैलेंज गेम फिर से मोबाइल पर उपलब्ध हो गया है। इंटरनेट की दुनिया में बहुत सारे ऐसे गेम्स हैं जो किशोरों और युवाओं को अपने को क्षति पहुंचाने, आत्महत्या के लिए उकसाने वाले टास्क देते हैं जैसे द पास आउट चैलेंज, द साल्ट एंड आइस चैलेंज, द फायर चैलेंज, द कटिंग चैलेंज और प्ले अननोन बैटल ग्राउंड यानी पबजी आदि। यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि जिन लोगों ने इन खेलों का निर्माण किया है, वे मानसिक रोगी रहे होंगे। उन्हें दूसरों को कष्ट में देखकर आनंद आता होगा। ऐसे मनोरोगियों को सरकारें क्यों नहीं रोक पा रही हैं,यह एक सवाल है। लेकिन ऐसा लगता है कि हमें अपने बच्चों से प्यार कतई नहीं रह गया है।

जिन परिवारों में पति-पत्नी दोनों कमाते हैं, दोनों काम पर जाते हैं। ऐसे घरों में बच्चे अपना एकाकीपन दूर करने के लिए मोबाइल पर गेम्स खेलने लगते हैं। धीरे-धीरे यह लत में बदल जाती है। यदि किसी दिन बच्चे को गेम न खेलने को मिले, तो वह बेचैन हो जाता है। बात-बात पर उग्र होने लगता है। चिढ़चिढ़ापन उसके स्वभाव में शामिल हो जाता है। गेम्स खेलने के लती बच्चे एकांत में रहना पसंद करते हैं। वे पूरी तरह से सामाजिक परिवेश से कट जाते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के द ब्ल्यू ह्वेल चैलेंज, द फायर चैलेंज जैसे गेस्म के संपर्क में आने की आशंका ज्यादा रहती है। अगर आपका बच्चा मोबाइल या इंटरनेट पर सामान्य से ज्यादा समय बिताता है, तो सतर्क हो जाएं। उससे बातचीत करें, उसको समझाएं। कोशिश करें कि बच्चा अन्य लड़कों के साथ खेले-कूदे, परिवार के साथ समय बिताए। अगर वह कोई असामान्य सवाल पूछे, तो उसका कारण पूछें, न बताए तो खुद उसका कारण खोजें।  आधुनिक तकनीक जितना लाभदायक है, उतनी ही खतरनाक भी। तकनीक का सही इस्तेमाल कैसे करना है, यही सीखना होगा।

-संजय मग्गू

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