महात्मा गांधी ने भारत को आजाद कराने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी। दुनिया के लिए यह विचार एकदम अनोखा था। अंग्रेज जहां भी अत्याचार करते कांग्रेसी कार्यकर्ता विनयपूर्वक उसका विरोध करते थे। गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन की धमक अमेरिका तक पहुंच चुकी थी। अमेरिका में एक आदमी था जेम्स लासन। अमेरिकी सरकार ने उन्हें कोरिया युद्ध में भाग लेने को कहा, तो उसने इनकार कर दिया।
अमेरिकी सरकार ने उसे जेल में डाल दिया। चौदह महीने बाद जब वह जेल से छूटे तो उन्होंने नागपुर आकर महात्मा गांधी की सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में जानकारी हासिल की। फिर वह अमेरिका लौट गए। सन 1960 में अमेरिका के नसविले शहर में एक परंपरा बहुत पहले से चली आ रही थी। होटलों, रेस्तराओं में गोरे और काले ईसाइयों के बैठने के लिए अलग-अलग व्यवस्था होती थी। जेम्स लासन को यह व्यवस्था बहुत अनैतिक और काले लोगों का अपमान प्रतीत होती थी। उन्होंने इसका विरोध करने के लिए कुछ युवाओं को प्रशिक्षित किया।
उन्होंने उन युवाओं से कहा कि आपको होटलों और रेस्तराओं में जाकर गोरे लोगों की जगह पर बैठना है। यदि पुलिस या गोरे आपको हटने को कहें तो हटना नहीं है। यदि वह मारे-पीटें और जेल ले जाएं, तो भी विनम्र ही रहना है। बस, क्या था पूरे नसविले शहर में युवाओं ने गोरों के लिए तय जगहों पर बैठना शुरू किया। पुलिस आती उन्हें गिरफ्तार करके ले जाती, लेकिन वे विरोध नहीं करते थे। उनकी जगह दूसरा जत्था आकर बैठ जाता। धीरे-धीरे अखबारों में खबरें आने लगीं। लोगों में चर्चा शुरू हुई। नतीजा यह हुआ कि नसविले शहर के मेयर को यह प्रथा बंद करने का आदेश देना पड़ा।
-अशोक मिश्र