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अपनी मेहनत और लगन से हालात बदल रहीं लड़कियां

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हरियाणा में इन दिनों एक सुखद बयार बह रही है। लोग लड़के और लड़कियों में भेद करना अब छोड़ रहे हैं। यह प्रवृत्ति इस बात का एहसास दिलाती है कि प्रदेश के लोगों को भी यह समझ में आ गया है कि लड़कियों को भी यदि मौका मिले, तो वे लड़कों से कहीं ज्यादा बेहतर करके दिखा सकती हैं। कल ही हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने बारहवीं का रिजल्ट जारी किया है। इसमें लड़कियों ने बाजी मार ली है। लड़कियों के पास होने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा है। अब प्रदेश के लोगों ने लड़कियों को भी उच्च शिक्षा दिलानी शुरू कर दी है। यह वही प्रदेश है जिसके माथे पर कभी कुड़ीमार प्रदेश का ठप्पा लगा हुआ था। लड़कियों को या तो गर्भ में ही मार दिया जाता था या फिर पैदा होते ही उन्हें मार दिया जाता था। लड़कियों से भेदभाव भी किया जाता था।

उनके खाने-पीने, पढ़ने-लिखने पर कतई ध्यान नहीं दिया जाता था। घर में लड़कों को ज्यादा महत्व दिया जाता था। इसके पीछे यह सोच थी कि वंश तो लड़के से ही आगे बढ़ता है, लड़की तो शादी के बाद ससुराल चली जाएगी। इसी दकियानूसी सोच के चलते प्रदेश में लड़कियों की संख्या में भारी कमी आ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रदेश के लड़कों की शादी होने में दिक्कत होने लगी। लिंगानुपात गड़बड़ाने से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अविवाहित लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। हालात यहां तक पहुंचे कि लोगों को अपने भाई-बेटों की शादी के लिए बिहार और बंगाल से लड़कियों को लाना पड़ा।

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बंगाल, बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुछ लोगों ने तो बाकायदा धंधा ही बना लिया था कि वे इन प्रदेशों से लड़कियों को लाकर हरियाणा वालों को बेच देते थे। इसका कुछ लालची लोगों ने फायदा भी उठाया और पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लुटेरी दुलहनों जैसी कई घटनाएं सामने आईं। नतीजा यह हुआ कि हरियाणा वालों को यह बात अच्छी तरह से समझ में आने लगी कि कन्याभ्रूण हत्या या लड़कियों को पैदा होते ही मार देने का क्या दुष्परिणाम होता है।

अब इस मामले में प्रदेश के लोग जागरूक होने लगे हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी मुहिम ने भी इसमें काफी सकारात्मक भूमिका निभाई है। इसके बावजूद अभी स्थिति संतोषजनक नहीं है। प्रदेश की लड़कियों ने भी आगे बढ़कर अपने को साबित करना शुरू किया, तब जाकर लोगों की आंख खुली। खेल और शिक्षा क्षेत्र में लड़कियों द्वारा कायम किए गए कीर्तिमान से ही यहां के मां-बाप और अभिभावकों की सोच बदली है। लड़कियों ने अपनी प्रतिभा और लगन से अपने को साबित किया है। उनका यह जज्बा ही हालात को बदलने का कारण बना है। अब जब लड़कियों ने नए कीर्तिमान बनाए हैं, तो लोगों को भी अपनी सोच बदल लेनी चाहिए।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

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