मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जीत से हरियाणा भाजपा और प्रदेश सरकार बहुत उत्साहित है। भाजपाइयों का मनोबल बढ़ाने में इन तीन राज्यों में मिली जीत की बहुत बड़ी भूमिका है। भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता से लेकर कार्यकर्ता तक बार-बार आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की दसों लोकसभा सीटों पर जीतने का दावा कर रहे थे, लेकिन तीन राज्यों की जीत ने उनके इस दावे को एक बल प्रदान किया है।
आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अब वे एक नए जोश और जुनून से जुट जाएंगे, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। विकसित भारत संकल्प यात्रा अब थोड़ी और जोश के साथ निकाली जाएगी। पूरे प्रदेश में 50 दिन तक निकाली जाने वाली यात्रा का जो असर होगा, उसका फायदा आने वाले लोकसभा और विधानसभा में दिखाई देगा। यात्रा के दौरान विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क साधने के साथ-साथ मोदी की गारंटी का प्रचार प्रसार किया जाएगा। इससे पूरे प्रदेश में एक माहौल बनेगा।
यही वजह है कि सरकारी योजनाओं से जो पात्र व्यक्ति वंचित हैं, उन्हें खोज-खोजकर लाभ दिया जा रहा है। सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होने वाले लोग कभी भी सरकार के खिलाफ नहीं जा सकते हैं, यह बात सरकार और भाजपा अच्छी तरह से समझती है। यही वजह है कि चुनाव के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच साल और मुफ्त अनाज योजना का समय बढ़ाने की घोषणा की, बस फिर क्या था? तीनों प्रदेश के मतदाताओं ने कांग्रेस का पासा पलट दिया। प्रदेश में भाजपा और जजपा ने गठबंधन करके सरकार बना रखी है।
राजस्थान में इस बार जजपा ने अपनी किस्मत आजमाई थी। हरियाणा में भाजपा और जजपा के बीच का मतभेद कई बार उभर कर सतह पर आता रहा है। जजपा ने राजस्थान में यह सोचकर हरियाणा से सटी 19 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे कि यदि वहां उसे कुछ सफलता मिल जाती है, तो हरियाणा में गठबंधन के चलते विधानसभा सीटों के बंटवारे पर दावा पेश किया जा सकता है। लेकिन वहां के जाट मतदाता जजपा उम्मीदवारों के पास भी नहीं फटके। उन्होंने राजस्थान में भाजपा का भरपूर साथ दिया।
अब जजपा की भी समझ में आ गया होगा कि वह हरियाणा में दबाव की राजनीति कर पाने की स्थिति में नहीं है। उसे वही करना होगा जो भाजपा चाहती है, अन्यथा उसके लिए एक ही रास्ता है कि वह गठबंधन से बाहर जाए और अपना मुकद्दर एक बार फिर आजमाए। बहरहाल, भाजपा को इस बात का ख्याल जरूर रखना होगा कि वह अति आत्मविश्वास से बचकर रहे। मोदी की गारंटी और पीएम के चेहरे पर बहुत ज्यादा आश्रित होना भी ठीक नहीं है।
-संजय मग्गू