Hathras Accident: हाथरस में सत्संग खत्म होने के बाद जो भगदड़ मची उसमें 120 लोगों की जान चली गई है। कई इस घटना में घायल भी हैं, जिनका अस्पताल में उपचार चल रहा है। हाथरस की घटना कोई पहली नहीं है। देश में कभी धार्मिक आयोजन तो कभी नेताओं की रैली में भीड़ उम्मीद से ज्यादा हो जाती है, जिसमें नेताओं और धार्मिक प्रवक्ता को देखने के चक्कर में भीड़ बेकाबू हो जाती है,जिसमें चली जाती है मासूम लोगों की जान।
Hathras Accident: 2001 से 2015 तक भगदड़ ने ली है तीन हजार लोगों की जान
एनसीआरबी रिपोर्ट की माने तो 2001 से लेकर 2015 के बीच सामूहिक समारोहों में भगदड़ में करीब तीन हजार लोगों की जान गई है। रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि के दौरान भगदड़ की 3500 से अधिक घटनाएं हुईं। इस अवधि के दौरान 441 मौतों के साथ झारखंड में सबसे अधिक मौतें हुईं, इसके बाद आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का स्थान रहा। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन द्वारा प्रकाशित 2013 के एक अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 79 फीसदी भगदड़ धार्मिक सभाओं और तीर्थयात्राओं के कारण होती हैं।
और भी हैं घटनाएं
पिछले साल 31 मार्च को इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी स्लैब ढह जाने से 36 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह साल 2022 में साल के पहले दिन ही माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में करीब 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में 2005 के दौरान हुई भगदड़ में 340 श्रद्धालुओं की मौत और 2008 में राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर हुई भगदड़ में कम से कम 250 लोगों की मौत ऐसी ही कुछ बड़ी घटनाएं हैं। हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में भी 2008 में ही भगदड़ के कारण 162 लोगों की जान चली गई थी।
Hathras Accident: जगह छोटी और लोग ज्यादा
अक्सर आयोजनों में यह देखने को मिलता है कि जगह कम और लोग ज्यादा होते हैं। साथ ही व्यवस्था भी खराब होती है। हाथरस में आयोजन वाली जगह पर निकास द्वार केवल एक ही था। वो द्वार भी काफी छोटा था। भगदड़ और भीड़ के घनत्व में एक अनुपात जरूर होता है। आमतौर पर प्रति वर्गमीटर में ज्यादा से ज्यादा 05से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए लेकिन आयोजनों में प्रति वर्ग मीटर भीड़ की संख्या 10 तक पहुंच जाती है। एक्सपर्टस की मानें तो भीड़ प्रबंधन प्रणाली की कमी के कारण ऐसी घटनाएं हो जाती हैं।
महिलाएं होती हैं ज्यादा शिकार
अक्सर देखने को मिलता है कि धार्मिक आयोजनों में पुरूषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा संख्या में उपस्थित होती हैं। हाथरस हादसे में ज्यादातर मरने वाली महिलाएं हैं। इसका मुख्य कारण होता है महिलाओं का ज्यादा धार्मिक प्रवृति का होना। भगदड़ मचती है तो खासकर भारतीय महिलाओं के कपड़े जैसे की की साड़ियां भी उनके भागने में रुकावट पैदा करती हैं। भगदड़ जैसी स्थिति होने पर कंप्रेसिव एस्फिक्सिया महिलाओं में काफी बढ़ जाता है जोकि मौत की सबसे बड़ी वजह बनती है।