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गुटबाजी खत्म किए बिना कांग्रेस का विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पार्टी में उभर रहे असंतोष और गुटबाजी को लेकर अपने तेवर कड़े कर दिए हैं। वह किसी भी दशा में अब गुटबाजी और केंद्रीय नेतृत्व या प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी या टिप्पणी सुनने के मूड में नहीं हैं। कल दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय में हुई हरियाणा के प्रदेश नेताओं की बैठक में उन्होंने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिसको पार्टी की नीति और फैसले पसंद नहीं है, पार्टी से जा सकते हैं। यह एक साफ संकेत है उन नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए जो आए दिन मीडिया में पार्टी की नीतियों की आलोचना करते फिरते हैं। गुटबाजी के कारण एक दूसरे पर छींटाकशी करते हैं। कांग्रेस को प्रदेशों में पार्टी नेताओं की गुटबाजी का बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस की पराजय का कारण गुटबाजी ही थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह आदि की आपसी टकराहट की वजह से कांग्रेस के पक्ष में माहौल होते हुए भी हार का सामना करना पड़ा। यही हाल छत्तीसगढ़ का हुआ। भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के गुट ने आपसी कलह में पूरी पार्टी और सरकार को डुबो दिया। पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू विवाद ने पूरी पार्टी को छिन्न भिन्न कर दिया। प्रदेश की सत्ता इन नेताओं की आपसी कलह की भेंट चढ़ गई। वहां आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अपना परचम लहराया और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की कलह जगजाहिर है। इसकी वजह राजस्थान की सत्ता कांग्रेस के हाथ से चली गई।

हरियाणा में भी पिछले दस साल से भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और किरण चौधरी गुट किसी न किसी मुद्दे को लेकर आपस में लड़ते आ रहे हैं। किरण चौधरी अभी हाल में ही अपनी बेटी ऋतु चौधरी के साथ भाजपा में शामिल हुई हैं। कुमारी सैलजा ने किरण चौधरी के पार्टी से चले जाने के बाद इसी मुद्दे को लेकर हुड्डा गुट पर हमला बोला। इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस हाईकमान ने टिकट बंटवारे में किसी की नहीं सुनी और चुनाव प्रचार के दौरान भी कड़ा नियंत्रण रखा, तो उसे नौ में से पांच सीटें जीतने में सफलता हासिल हुई। तीन महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले यदि गुटबाजी खत्म नहीं हुई, तो हरियाणा में भी कांग्रेस का हाल मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसा होगा। हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान वोट प्रतिशत भी लगभग 40 प्रतिशत तक बढ़ा है। यदि आपसी कलह से कांग्रेस मुक्त नहीं हुई, तो विधानसभा जीतने का सपना पूरा होने वाला नहीं है।

-संजय मग्गू

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