छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन समाज (Jain Community) के अनमोल रत्न कहे जाने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) ने अपनी देह त्याग दी है। महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा से समाधि पूर्वक मरण हो गया है। आचार्य विद्यासागर ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत ले लिया था। जिसके बाद आज उन्होंने चन्द्रगिरी तीर्थ (Chandragiri Tirtha) पर अपनी अंतिम सांस ली। महाराज के यूँ चले जाने से देशभर में शोक का माहौल है।
आज पुरे जैन समाज के लिए दुःख का दिन है जिसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता है। वर्तमान युग के महावीर कहे जाने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) अब इस संसार में नहीं रहे। आचार्य ने शनिवार देर रात 2 बजकर 30 बजे देह त्याग दी और पूरी विधि के साथ समाधि ले ली। उनके त्याग को देख कर हर कोई स्तब्ध है। वह आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य थे। जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था। उस समय महज 26 वर्ष की उम्र में ही मुनि विद्यासागर 22 नवंबर 1972 में आचार्य हो गए थे।
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सबसे ज्यादा इंदौर में बीता समय
इंदौर (Indore) एकमात्र ऐसा सौभाग्यशाली शहर है जहां आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) ने अपने साधु जीवन का सबसे अधिक वक्त बिताया है। 56 साल के साधु जीवन के दौरान उनका 10 महीने से ज्यादा का समय इंदौर में बीता। साल 2020 में उनका आगमन ‘अहिल्या की नगरी’ कहे जाने वाला इंदौर में हुआ। उस दौरान कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा। और इंदौर के जैन समाज के भक्तों का सौभाग्य ऐसा जागा कि उन्हें गुरु का सानिध्य 300 दिन से ज्यादा का मिल गया।
आचार्य विद्यासागर महाराज का जीवन
आचार्य विद्यासागर (Acharya Vidyasagar) जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को विद्याधर के रूप में कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके पिता श्री मल्लप्पा थे जो बाद में मुनि मल्लिसागर बने। उनकी माता श्रीमंती थी जो बाद में आर्यिका समयमति बनी। महाराज विद्यासागर जी को 30 जून 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में आचार्य ज्ञानसागर ने दीक्षा दी जो आचार्य शांतिसागर शिष्य थे। आचार्य विद्यासागर जी को 22 नवम्बर 1972 को ज्ञानसागर जी द्वारा आचार्य पद दिया गया था । केवल विद्यासागर जी के बड़े भाई ग्रहस्थ जीवन में हैं आचार्य विद्यासागर महाराज की बहने स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ही ब्रह्मचर्य लिया था उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण की जो मुनि योगसागर जी और मुनि समयसागर जी के नाम से जाने जाते है।
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पीएम मोदी ने किए थे दर्शन
आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) की ख्याति इस कदर थी कि उन्हें हाल ही में 11 फरवरी को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में ‘ब्रह्मांड के देवता’ के रूप में सम्मानित किया गया था। इससे पहले नवंबर में छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले पीएम मोदी ने भी आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन किए थे और उनका आशीर्वाद लिया था। तब उन्होंने सोशल मीडिया (Social media) पर लिखा था कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं। आचार्य विद्यासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) जनकल्याण के लिए जाने जाते हैं। उनके त्याग और अनुशासन को हमेशा याद रखा जाएगा। महाराज के ह्रदय में गरीबों से लेकर जेल के कैदियों तक के लिए प्रेम भाव था। आचार्य विद्यासागर महाराज का देश के लिए हमेशा से कहना था कि इंडिया नहीं भारत बोलो’ और वे हमेशा से हिंदी राष्ट्र और हिंदी भाषा को बढ़ाने में अग्रसर रहते थे।
विधि-विधान के साथ होगा अंतिम संस्कार
आचार्य श्री विधासागर महाराज (Acharya Vidyasagar Maharaj) का अंतिम संस्कार जैन पद्धति के अनुसार किया जाएगा। पूरे विधि विधान के साथ उनका डोला निकाला जाएगा। उनके शरीर त्यागने का पता चलते ही जैन समाज के लोगों का जुटना शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि दोपहर एक बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। महाराज के सभी वर्गो और धर्म से जुड़े लोग अनुयायी थे। उनके जाने से हर तरफ शोक की लहर है।
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