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गरीब परिवारों की दशा सुधारने को प्रयासरत मनोहर सरकार

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गरीबी और महंगाई राष्ट्रव्यापी समस्या है। राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। युवाओं के लिए रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है ताकि बेरोजगारी को दूर करके लोगों की गरीबी को कम किया जा सके। हरियाणा सरकार भी ऐसे ही प्रयास कर रही है। प्रदेश सरकार जहां राष्ट्रीय कल्याणकारी योजनाओं को सख्ती से लागू कर रही हैं, वहीं प्रदेश स्तर पर भी कई योजनाएं संचालित कर रही है।

मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि पिछले नौ सालों में 14 लाख 25 हजार परिवार गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं यानी अब इतने परिवार सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गरीब नहीं रहे। प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा की आर्थिक सीमा 1.20 लाख से बढ़ाकर 1.80 लाख कर दिया है। आर्थिक सीमा का दायरा बढ़ाने का उद्देश्य यह था कि अधिक से अधिक लोगों तक गरीबों को मिलने वाली सुविधाएं और आर्थिक मदद उन तक पहुंचाई जा सके।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दावा है कि जब उन्होंने प्रदेश की बागडोर संभाली थी, तब हरियामा की गरीबी दर 11.88 प्रतिशत थी। उनकी सरकार के सकारात्मक प्रयासों से वर्ष 2019-21 में यह दर 7.7 प्रतिशत पर आ गई थी यानी इन वर्षों में साढ़े चार प्रतिशत से भी अधिक गरीबी की दर में कमी आई थी। हरियाणा में 1.68 करोड़ लोग बीपीएल और अत्योदय की श्रेणी में आते हैं। इस समय केंद्र सरकार 1.26 करोड़ लोगों को राशन उपलब्ध करवाती है। जबकि 42 लाख लोगों को राशन केंद्र की तरफ से नहीं भेजा जा रहा।

अभी डिपो पर जो व्यवस्था है वो पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर है। प्रदेश के मुखिया का कहना है कि भविष्य में इन 42 लाख लोगों को हरियाणा सरकार खुद राशन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करेगी। यदि ऐसा होता है, तो स्वाभाविक रूप से गरीबी की दर में कुछ कमी जरूर आएगी। वहीं विपक्ष सरकार के इस आंकड़े पर संदेह जता रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने दो महीने पहले प्रदेश भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि प्रदेश सरकार की नीतियों के चलते प्रदेश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।

पिछले नौ सालों में प्रदेश में गरीबी की सीमा रेखा में रहने वाले 30 लाख लोगों की संख्या बढ़कर एक करोड़ 56 लाख हो गई है। कांग्रेस नेताओं का भी कुछ ऐसा ही दावा है। वे कहते हैं कि प्रदेश भाजपा सरकार ने गरीबों का भला करने की जगह उनकी परेशानी बढ़ाई ही है। लोगों को सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही है। यह आरोप कितना सही या गलत है? इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन सरकार जो दावे कर रही है, उसमें कुछ न कुछ सच तो जरूर होगा। सरकारी आंकड़ों पर शंका तो नहीं की जा सकती है।

-संजय मग्गू

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