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महिलाओं का मानसिक शोषण करना अपराध, जानिए नए आपराधिक कानून संशोधन की धारा

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हाल ही में नए आपराधिक कानून में संशोधन किया गया है जिसके तहत अब किसी महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना क्रूरता है। इसके लिए भारत सरकार ने नए आपराधिक विधेयक भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के खिलाफ अपराध में दो नई धाराएं जोड़ी हैं। आइए जानते है वो क्या है –


हमारे समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर चाहे पहले से अधिक बदलाव आए है लेकिन आज भी महिलाएँ शोषण का शिकार होती है आए दिन इस तरह के मामले सामने आते रहते है इस बीच नए आपराधिक कानून संशोधन के तहत अब किसी महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना क्रूरता है। भारत सरकार ने नए आपराधिक विधेयक भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं के खिलाफ अपराध में दो नई धाराएं जोड़ी हैं। यह विधेयक जल्द ही पुराने भारतीय दंड संहिता और अन्य आपराधिक कानूनों की जगह लेने जा रहा है।

इस नए जोड़ के अनुसार , धारा 86 महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी शारीरिक भलाई को नुकसान पहुंचाने को कानून के खिलाफ की गई क्रूरता के रूप में अपराध मानती है। इसके अनुसार अब क्रूरता की परिभाषा को सीमित कर दिया है कि क्रूरता में क्या शामिल है। विधेयक के पिछले संस्करण यानी धारा 85 में केवल यह उल्लेख किया गया था कि महिलाओं के खिलाफ क्रूरता करने पर पति या ससुराल वालों को तीन साल की जेल की सजा दी जाएगी।

नये विधेयक के अनुसार

नया आपराधिक बिल यौन उत्पीड़न से बचे व्यक्ति की पहचान को उजागर करने से रोकता है। बिना अनुमति के यौन उत्पीड़न पीड़िता की पहचान उजागर करने पर दो साल की जेल होने का प्रावधान है।

भारतीय न्याय संहिता विधेयक को 11 अगस्त को लोकसभा में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Indian Civil Defense Code) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयक (Indian Evidence Act Bill) के साथ पेश किया गया था।

एनसीआरबी (NCRB) डेटा से पता चलता है कि गृहिणियों में आत्महत्या के मामले बढे है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच हर साल आत्महत्या से मरने वाली गृहिणियों की संख्या बढ़ रही है। 2022 में यह संख्या सबसे अधिक रही। जब 25,309 मामले सामने आए। वर्ष 2022 में देश में कुल आत्महत्या के 14.8 प्रतिशत मामले गृहिणियों के बीच दर्ज किये गये थे।

अक्सर हम अपने घर या आसपास महिलाओं के साथ होने वाले भावनात्मक और मानसिक शोषण को नजरअंदाज कर देते है। हम यह जानने की कोशिश नहीं करते कि उनके मन के अंदर क्या चल रहा है जिसकी वजह से महिलाएं खुद ही अपने मानसिक दर्द को छिपाती रहती है और तब तक नजरअंदाज करती हैं जब तक वह कोई बड़ा कदम नहीं उठा लेती। कानूनों में संशोधन करने से मानसिक शोषण का अपराधीकरण मील का पत्थर साबित हो सकता है।




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