भले ही देश में कई बातें की जाती हो महिला की सुरक्षा, शिक्षा या अन्य कई सुविधओं को लेकर सशक्तीकरण से जुड़ी हुई बातें भी आए दिन हम सुनते रहते है, कई तरह की योजनाओं के बारे में भी हम पढ़ते या देखते सुनते है। लेकिन धरातल पर नजर दौड़ाते है तो कुछ भी दिखता नहीं है। हम ऐसा कह रहें है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से एक रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक दुनिया के 114 देशों ने पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक एक फ़ीसदी से भी कम महिलाएं और लड़कियां ऐसे देशों में रहती है जहां उच्च महिला सशक्तिकरण स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में लैंगिक असमानता है, यूएनडीपी ने द पाथ्स टू इक्वल में रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट में हमारे भारत देश को लैंगिक समानता के स्तर पर पिछड़े देशों की फेहरिस्त में शामिल किया गया है। यूएन कि यह रिपोर्ट डब्ल्यूईआई और सीजीपीआई पर आधारित है। भारत को इस लिस्ट में पिछले देशों की सूची में रखा गया है।डब्ल्यूईआई रैंकिंग में भारत को 0.52 अंक दिए गए है। तो वही जीजीपीआई रैंकिंग में भारत को जीरो दशमलव 56 अंक मिले हैं।
भारत में महिलाओं की स्थिति की बात करें तो 2023 में संसद में महिलाओं की सरदारी मात्र 14 दशमलव 72 फ़ीसदी है वहीं मौजूदा सरकार में महिलाओं की हिस्सेदारी 44.4 फ़ीसदी रही।
भारतीय शिक्षा में 2022 में मात्र 24.9 फ़ीसदी महिलाओं ने माध्यमिक या उच्चतर शिक्षा हासिल की तो वही साल 2012 से 2022 तक 15.9 फ़ीसदी महिलाएं उच्च पदों पर काम करती हुई दिखाई दीं। साल 2012 से लेकर 2022 के बीच 43 दशमलव 53 फ़ीसदी युवा लड़कियां संयुक्त राष्ट्र संघ या ट्रेनिंग हासिल नहीं कर पाई। यूएन की इस फेहरिस्त में पाकिस्तान नेपाल और श्रीलंका भी शामिल है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 85 देश आज भी महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता हासिल करने पूरी दुनिया में निम्न स्तर पर हैं।